नवरात्र की पूजा में सबसे महत्वपूर्ण कलश स्थापना को माना जाता है। शास्त्रों में कलश स्थापित करने को गणेशजी का स्वरूप माना गया है। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना इसलिए की जाती है ताकि गणेशजी की कृपा से नवरात्र के 9 दिन बिना किसी विघ्न बाधा के पूजा के कार्य संपन्न हो सकें। कलश भगवान गणेश का स्वरूप है जिसमें सभी तीर्थ, समुद्र, पवित्र नदियों, वरुण सहित अनेक देवताओं का वास होता है। वैदिक परंपरा के अनुसार कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री में 7 प्रकार के अनाजों भी शामिल किया गया है। इसे सप्त धान्य भी कहा जाता है। इन 7 प्रकार के अनाज का संबंध 7 ग्रहों से माना जाता है। कलश स्थापना में इसका प्रयोग करके सभी ग्रहों की शांति का आह्वान किया जाता है।
आइए जानते हैं कौन से हैं ये 7 प्रकार के अनाज
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जौ
नवरात्र की पूजा में जौ का सबसे अधिक महत्व माना जाता है। जौ का संबंध बृहस्पति ग्रह से माना गया है। जौ के प्रयोग से आपका गुरु बलवान होता है और आपके गुरु के बलवान होने से करियर, रुपये-पैसे और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
वानस्पतिक नाम - Hordeum Vulgare
हिन्दी - जौ
अन्ग्रेजी - Barley
संस्कृत - यव
तेलुगु - Jaava
मराठी - सातू
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तिल
कलश स्थापना के लिए प्रयोग होने वाले 7 अनाज में से सफेद तिल भी एक है। सफेद तिल को शुक्र से जोड़कर देखा जाता है। शुक्र के मजबूत होने से आपके भौतिक सुखों में वृद्धि के साथ दांपत्य जीवन में भी मधुरता बनी रहती है।
वानस्पतिक नाम - Sesamum Indicum
हिन्दी - तिल
अन्ग्रेजी - Sesame
संस्कृत - तिल
तेलुगु - Nuvvula Mokka
मराठी - तीळ
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धान
कलश स्थापना के लिए प्रयोग होने वाले 7 अनाज में धान तीसरे स्थान पर है। धान का संबंध चंद्रमा से माना जाता है। हवन आदि पूजा में धान का प्रयोग करने से आपका चंद्रमा मजबूत होता है। चंद्रमा के मजबूत होने से व्यक्ति सर्दी, जुकाम के साथ अन्य मौसम जनित बीमारियों से दूर रहता है। वहीं चंद्रमा अपने स्वभाव के अनुरूप व्यक्ति के क्रोध को कम करता है।
वानस्पतिक नाम - Oryza Sativa
हिन्दी - चावल
अन्ग्रेजी - Rice
संस्कृत - तण्डुल
तेलुगु - Biyyam
मराठी - तांदूळ
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मूँग
मूंग का संबंध बुध ग्रह से माना जाता है। बुध के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को रूप, गुण, बुद्धि और सौंदर्य की प्राप्ति होती है। कलश स्थापना में मूंग को शामिल करना जरूरी माना जाता है।
वानस्पतिक नाम - Vigna Radiata
हिन्दी - मूँग
अन्ग्रेजी - Mong Bean, Green Gram
संस्कृत - मुद्ग
तेलुगु - Pesarlu
मराठी - मूग
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कँगनी
कलश स्थापना के लिए पांचवें अनाज के रूप में कँगनी यानि मसूर का प्रयोग किया जाता है। मसूर का संबंध उग्र ग्रह माने जाने वाले मंगल से होता है। मसूर को पूजा में शामिल करने से मंगल के दुष्प्रभाव आपके ऊपर नहीं रहते हैं।
वानस्पतिक नाम - Setaria Italica
हिन्दी - कँगनी
अन्ग्रेजी - Foxtail Millet
संस्कृत - प्रियङ्गु
तेलुगु - Korralu
मराठी - राल
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चना
कलश स्थापना के लिए छठवें अनाज के रूप में काले चने का प्रयोग किया जाता है। काले चने का संबंध शनि ग्रह से होता है। शनि ग्रह को कर्मों का देवता माना जाता है। शनिदेव अच्छे कर्मों का फल देने के साथ ही बुरे कर्मों की सजा भी देते हैं। पूजा में चने का प्रयोग करने से आप शनि की दशा से दूर रहते हैं।
वानस्पतिक नाम - Cicer Arietinum
हिन्दी - चना
अन्ग्रेजी - Chickpea
संस्कृत - चणक
तेलुगु - Chanagalu
मराठी - हरभरा
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गेहूँ
कलश स्थापना के लिए सातवें अनाज के रूप में गेहूं का प्रयोग किया जाता है। गेहूं का संबंध सूर्य ग्रह से माना जाता है। पूजा में गेहूं का प्रयोग करने से आपका सूर्य ग्रह मजबूत होता है। सूर्य के मजबूत होने से आपको निरोगी काया के साथ ही दीर्घायु की भी प्राप्ति होती है।
वानस्पतिक नाम - Triticum
हिन्दी - गेहूँ
अन्ग्रेजी - Wheat
संस्कृत - गोधूम
तेलुगु - Godhumalu
मराठी - गहू
माता के पूजा में कलश के नीचे रखे पात्र में जौ बोना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि अगर ये जौ हरे-भरे निकलते हैं तो घर में सुख समृद्धि आती है।