हमारा प्यारा हिंदुद्वीप, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप,
अब उठो जगो हे आर्यवीर! उत्ताल प्रचंड समरसिन्धु समीप,
हे सुभट-विकट-विकराल-काल, प्रखर-प्रबल-शूर-शस्त्रपाणि महीप,
विश्वहृदय यह भारत-भूषित, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप,
हमारा प्यारा हिंदुद्वीप, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप ॥
सबसे न्यारा सबका प्यारा, सर्वसुमंगल सुशोभित सिंधु समीप ,
ब्रह्मर्षि दधीचि-कश्यप-गौतम, तुला-विदुर-लव्य-कायव्य कुलदीप,
गुरुकुल-गौरव रघुकुल-सौरभ, पुरुषोत्तम रामभद्र और दिलीप,
जनक-जानकी-जनजीवनधन, शुचि-सत्यशील-करुणासिंधु-सुदीप,
हमारा प्यारा हिंदुद्वीप, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप ॥
श्रुति-सती-सन्त-सम-सत्यशील, मन्वादि राजर्षि भूपति अम्बरीष,
बंग-गंग-अरु इन्दु-मानसर, लंक-वर्म-विन्ध्य-सागर-सिंधु गिरीश,
गो-गुरु-द्विज-समर्चक अर्थ-अर्जक, कामपालक मोक्षरत कालातीत,
माता-पिता-अतिथि-परिपालक, देवसमर्चक आत्मरूप कर्मातीत,
हमारा प्यारा हिंदुद्वीप, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप ॥