जय -जय -जय हनुमान कृपाला,
करो सदा संतन प्रतिपाला ॥
मंगल ,शनि को जो कोई जावै,
चोला तुम्हरे अंग चढ़ावै ॥
रीझो तुम जो अधिक सदाई,
मन इच्छा पूरण हो जय ॥
भक्तन हित कलयुग के राजा,
राम प्रताप तिलक तुम राजा ॥
राम भक्ति अग्रणी हमेशा,
सुमिरत तुमको मिटै कलेशा ॥
राम सदा वश में कर राखे,
हिरदय फार बताई राखे ॥
सोई यह मंदिर पर है राजे,
सौ फुट जाकी शिखर बिराजे ॥
राम जानकी लखन सुहाए,
दर्शन से पातक मिट जाये ॥
हनुमत मंदिर विलग सुहाई,
भूरि भब्यता सब मन भाई ॥
चमत्कार अपनों दिखलावे,
फोड़ा फुन्शी तुरत मिटावै ॥१०॥
कैंसर हो ,कैसी बीमारी,
भागत दूर भक्ति बलिहारी ॥
सुनकै नाम भक्त जन आवै,
मनोकामना पूरी पावै ॥
जय -जय -जय कह मुख ते बोलें,
आनंदमग्न मुदित हो डोलें ॥
भोले बाबा हू चल आये,
मंदिर तिनको विलग सुहाए ॥
पारवती है पुत्र समेता,
नन्दीगढ़ सह बसै निकेता ॥
निरख भक्त जय -जय मुख बोले,
तिन संग करते आप किलोलें ॥
सिंह वाहिनी दुर्गा माता,
सकल मनोरथ की है दाता ॥
मंदिर में है सोभा पाती,
अस्तभुजी स्वरुप दिखलाती ॥
निज भक्तन के काज बनाती,
जग जननी माता कहलाती ॥
थोड़े में ही खुश हो जाती,
भक्तन के मन सदा सुहाती ॥२०॥
भाई दयाल खेल के ऊपर,
स्वर्ग बनाया है लामू पर ॥
मध्य पीपल का बृच्छ सुहाए,
तैतिष कोटि देव सुख पावै ॥
ब्रह्मा जाकी जड़ बन आये,
त्वचा रूप विष्णू दर्शाये ॥
शंकर साखा रूप कहावै,
पत्र -पत्र सुर वाषा पावै ॥
नमो -नमो महिमा जग छाई,
पूजन ते नाना फल पाई ॥
यज्ञ भवन की सोभा न्यारी,
करत हवन तहँ जनता सारी ॥
ऐसो सुन्दर थल सुखदाई,
निरखत गद -गद तन हो जाई ॥
संस्क़ृतभाषा का विद्यालय,
वेद -ज्ञान का है देवालय ॥
ध्वनि सुन तिनकी देव विमोहे,
भाषा देव जगत जन जोहे ॥
गौ माता है सब सुख दाता,
भारत माँ से जिनका नाता॥३०॥
पालन -पोषण सबन सुहाई,
गौशाला सोई यहाँ बनाई ॥
दंदरौआ धाम सुहावै,
यश सुन जग जन दौरे आवै ॥
मनोकामना पूरण पावै,
आप सबै चरनन सिर नावै ॥
राज भोग भंडार लगावै,
साधू संत प्रसादी पावै ॥
पुरुसोत्तम बाबा मन भाई,
जिनकी कृपा महंती पाई ॥
रामदास जी अब अधिकारी,
बलिहारी जय -जय बलिहारी ॥
जिला भिंड में धाम सुहाए,
दतिया ग्वालियर निकट बतावै ॥
मौ - मेहंगांव सड़क में आवै,
मंदिर तक वाहन सब जावै ॥
एक मील तंह से है दूरी,
मोटर सड़क पहुँच गई रूरी ॥
यह चालीशा उन्हें सुनावै,
दंदरौआ धाम सुहावै ॥४०॥