वर्ष के सबसे लंबे दिन को ग्रीष्म संक्रांति और वर्ष के सबसे छोटे दिन को शीतकालीन संक्रांति कहा जाता है। प्रत्येक वर्ष सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है।
सटीक तारीखें अलग-अलग होती हैं, लेकिन क्रम हमेशा एक ही होता है: दिसंबर की शुरुआत में सबसे पहले सूर्यास्त, 22 दिसंबर के आसपास संक्रांति पर सबसे छोटा दिन, जनवरी की शुरुआत में नवीनतम सूर्योदय। और इस प्रकार यह चक्र चलता रहता है।सोल्सटिस क्यों होता है?
❀ साल में कई बार मौसम बदलता है। कभी गर्मी पड़ती है तो कभी सर्दी। इन्ही मौसम के अनुसार दिन की लंबाई में भी बदलाव होता रहता है। इसकी वजह एकमात्र ये है कि धरती का अपने अक्ष पर झुके रहना और अपने अक्ष पर घूमते रहना।
❀ इसी कारण से आधे समय तक सूर्य उत्तरी ध्रुव की ओर झुका रहता है और बाकी आधे सालों में दक्षिण ध्रुव की ओर। धरती के इसी चक्कर लगाने की वजह से सीजन तय होता है। जिस तरफ सूर्य का झुकाव ज्यादा रहता है वहां सूर्य का प्रकाश ज्यादा पहुंचता है और वहां गर्मी ज्यादा होती है। वहीं जिस तरफ सूर्य का प्रकाश कम पहुंचता है वहां पर ठंड होती है।
❀ पृथ्वी अपने अक्ष पर साढे 23 डिग्री झुकी हुई होती है, जिसके कारण सूर्य की दूरी उत्तरी गोलार्द्ध से अधिक हो जाती है।
❀ इस दिन से पहाड़ों पर बर्फबारी बढ़ जाती है और मैदानी इलाकों में ठंड अधिक पड़ने लगती है।
❀ विंटर सोल्स्टिस के दिन सिर्फ 10 घंटे 41 मिनट का दिन होगा जबकि रात 13 घंटे 19 मिनट की होगी। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के समय को दिन कहते हैं। इस दौरान सूर्य अपने निर्धारित समय से पहले ही अस्त हो जाता है।
❀ यही अगर नॉर्दर्न हेमीस्फीयर की बात की जाए तो यहां पर ये बिल्कुल उल्टा होता है। यहां पर समर सोल्स्टिस 21 या 22 दिसंबर को होता है जबकि विंटर सोल्स्टिस 21 या 22 जून को होता है।
❀ इसलिए उदाहरण के लिए जब नॉर्थ अमेरिका में समर होता है तो साउथ अमेरिका में विंटर होता है।
वैदिक परम्परा में पृथ्वी का उत्तर की ओर गमन सूर्या सिद्धांत के तौर पर जाना जाता था जिसे
मकर संक्रांति और
कर्क संक्रांति के बीच की अवधि माना जाता था और इसे
उत्तरायण कहा जाता था। इस तरह से विंटर सोलिस्टिस को उत्तरायण का पहला दिन कहा जाता है।
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