Download Bhakti Bharat APP
Hanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowAditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya StotraFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों है? (Why is there a tradition of getting up in Brahma Muhurta?)

हमारे वेदों पुराणों एवं शास्त्रों के अनुसार ब्रह्ममुहूर्त का समय सुबह 3.30 बजे से 5.30 बजे के बीच होता है। यह ध्यान के लिए उपयुक्त समय है। ब्रह्ममुहूर्त समय अत्यधिक महत्वपूर्ण समय होता है, यह शरीर को व्यस्त दिन के साथ बनाए रखने के लिए एक अच्छी ऊर्जा को बढ़ावा देता है। यह पूर्व-भोर की समय सीमा किसी भी महत्वपूर्ण आध्यात्मिक कार्य को शुरू करने के लिए आदर्श समय माना जाता है। यह "ईश्वरीय क्षण" कई कारणों से फायदेमंद है, इसकी एकाग्रता और रचनात्मकता को बढ़ाने की क्षमता से लेकर इसके शांत मानसिक प्रभाव और समग्र स्वास्थ्य में सुधार की इसकी क्षमता के लिए जाना जाता है।
शास्त्र में ब्रह्ममुहूर्त का वर्णन:

वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति ।
ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा ॥

अर्थात्
ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को रूप, लक्ष्मी, बुद्धि, आरोग्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल के समान सुन्दर हो जाता है।

प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो ।
तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर: ॥ [ऋग्वेद-1/125/1]

अर्थात्
जो व्यक्ति प्रातःकाल सूर्य उदय से पहले उठता है उसका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसलिए बुद्धिमान लोग इस समय को बर्बाद नहीं करते हैं। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, बलवान और दीर्घायु होता है।

यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा ।
सुवाति सविता भग: ॥ [सामवेद-35]

अर्थात्
व्यक्ति को प्रात: काल सूर्योदय से पहले शौच और स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा करनी चाहिए। इस समय की शुद्ध एवं स्वच्छ वायु से आरोग्य एवं धन की वृद्धि होती है।

उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे । [अथर्ववेद- 7/16/२]

अर्थात्
जो सूर्य के निकलने पर भी नहीं जागते या जागते हैं, उनका तेज समाप्त हो जाता है।

ब्रह्म मुहूर्त का महत्व
हिंदू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त को सबसे अच्छा समय माना जाता है। पौराणिक काल में जो ऋषि मुनि हुआ करते थे वे इस समय को साधना के लिए उचित मानते थे। इस समय की गई भगवान की पूजा शीघ्र फल देती है। ब्रह्म मुहूर्त में ही मंदिरों के कपाट भी खोल दिए जाते हैं। पुराणों के अनुसार इस समय सोने से ब्रह्म मुहूर्त के पुण्य नष्ट हो जाते हैं। इस समय सोना वर्जित होता है।

ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला व्यक्ति सफल, सुखी और समृद्ध होता है। इसलिए अगर स्वस्थ और सफल रहना है, तो ब्रह्म मुहूर्त में उठें।

Why is there a tradition of getting up in Brahma Muhurta? in English

By getting up in Brahma Muhurta, a person gets beauty, Lakshmi, intelligence, health, age etc. Brahma muhurta time is of utmost importance, it gives the body a good energy boost to keep up with the busy day.
यह भी जानें

Blogs Morning BlogsDaily BlogsBrahma Muhurta BlogsEarly Morning BlogsGodly Moment BlogsBrahmamuhurta Time Blogs

अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ब्लॉग को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

तिलक के प्रकार

तिलक एक हिंदू परंपरा है जो काफी समय से चली आ रही है। विभिन्न समूह विभिन्न प्रकार के तिलकों का उपयोग करते हैं।

नमस्कार करने के फायदे

नमस्कार भक्ति, प्रेम, सम्मान और विनम्रता जैसे दिव्य गुणों की एक सरल और सुंदर अभिव्यक्ति है।

भगवान श्री विष्णु के दस अवतार

भगवान विष्‍णु ने धर्म की रक्षा हेतु हर काल में अवतार लिया। भगवान श्री विष्णु के दस अवतार यानी दशावतार की प्रामाणिक कथाएं।

पौष मास 2024

पौष मास, यह हिंदू महीना मार्गशीर्ष मास के बाद आता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार 10वां महीना है।

अधूरा पुण्य

दिनभर पूजा की भोग, फूल, चुनरी, आदि सामिग्री चढ़ाई - पुण्य; पूजा के बाद, गन्दिगी के लिए समान पेड़/नदी के पास फेंक दिया - अधूरा पुण्य

तुलाभारम क्या है, तुलाभारम कैसे करें?

तुलाभारम और तुलाभरा जिसे तुला-दान के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन हिंदू प्रथा है यह एक प्राचीन अनुष्ठान है। तुलाभारम द्वापर युग से प्रचलित है। तुलाभारम का अर्थ है कि एक व्यक्ति को तराजू के एक हिस्से पर बैठाया जाता है और व्यक्ति की क्षमता के अनुसार बराबर मात्रा में चावल, तेल, सोना या चांदी या अनाज, फूल, गुड़ आदि तौला जाता है और भगवान को चढ़ाया जाता है।

महा शिवरात्रि विशेष 2025

बुधवार, 26 फरवरी 2025 को संपूर्ण भारत मे महा शिवरात्रि का उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? | आरती: | चालीसा | मंत्र | नामावली | कथा | मंदिर | भजन

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Aditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya Stotra
×
Bhakti Bharat APP