Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel
Hanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowAditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya StotraFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

तिलक लगाने के पीछे क्या कारण है? (What is the reason behind applying tilak?)

तिलक लगाने के पीछे क्या कारण है?
सनातन धर्म में माथे पर तिलक लगाना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह माथे पर लगाया जाने वाला एक छोटा सा निशान होता है, जिसे पूजा-पाठ या अन्य धार्मिक अवसरों पर लगाया जाता है। तिलक लगाना हिंदू परंपरा में इस्तेमाल की जाने वाली एक विशेष रस्म है। बिना तिलक लगाए न तो पूजा करने की अनुमति मिलती है और न ही पूजा पूरी होती है। तिलक दोनों भौहों के बीच गले या नाभि पर लगाया जाता है। तिलक लगाने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और मन को एकाग्र और शांत करने में मदद मिलती है।
तिलक लगाने के नियम
1. बिना स्नान किए तिलक न लगाएं।
2. सबसे पहले अपने इष्ट देव या भगवान को तिलक लगाएं, फिर खुद को तिलक लगाएं।
3. अपनी अनामिका उंगली से और दूसरी उंगली से अपने अंगूठे से खुद को तिलक लगाएं।

तिलक लगाने का धार्मिक महत्व
1. चंदन का तिलक लगाने से एकाग्रता बढ़ती है।
2. रोली और कुमकुम का तिलक लगाने से आकर्षण बढ़ता है और आलस्य दूर होता है।
3. केसर का तिलक लगाने से यश बढ़ता है और कार्य पूर्ण होते हैं।
4. गोरोचन का तिलक लगाने से विजय प्राप्त होती है।
5. अष्टगंध का तिलक लगाने से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है।

ग्रहों को मजबूत करने के लिए तिलक लगाने के नियम
1. सूर्य - अनामिका उंगली पर लाल चंदन का तिलक लगाएं।
2. चंद्रमा - कनिष्ठा उंगली पर सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
3. मंगल - अनामिका अंगुली पर नारंगी सिन्दूर का तिलक लगाएं।
4. बुध - कनिष्ठा उंगली पर अष्टगंध का तिलक लगाएं।
5. बृहस्पति - तर्जनी पर केसर का तिलक लगाएं।

माथे के अलावा गर्दन, छाती और बांहों पर भी क्यों लगाया जाता है तिलक?

1. गले पर तिलक लगाने का महत्व और फायदे
गले पर तिलक लगाना बहुत शुभ माना जाता है। हमारी वाणी का संबंध गले से होता है, भोजन नली भी गले के करीब से होकर गुजरती है। इन सभी महत्वपूर्ण अंगों को नियंत्रित करने के लिए गर्दन पर तिलक लगाया जाता है। गले पर तिलक लगाने से गला शांत रहता है और वाणी मधुर रहती है। कहा जाता है कि यहां तिलक लगाने से भगवान का वास होता है। श्वास की गति शांत हो जाती है और मंगल ग्रह मजबूत हो जाता है।

2. छाती पर तिलक लगाने का महत्व और फायदे
कहते हैं सीने पर भगवान का वास होता है। यहां तिलक लगाने से ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है। व्यक्ति के मन से भय, क्रोध, तृष्णा और अशांति की समस्या दूर रहती है। छाती पर तिलक लगाने से मन शांत होता है। मन में कोई द्वेष नहीं होता है। भगवान हृदय में निवास करते हैं। इसका मतलब है कि हम भगवान को तिलक लगा रहे हैं।

3. बांह पर तिलक लगाने का महत्व और फायदे
भुजा का संबंध शुक्र ग्रह से है। यहां तिलक लगाने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है। यहां तिलक लगाने से भगवान बांहों में वास करने लगते हैं। यदि किसी व्यक्ति का शुक्र ग्रह कमजोर है तो उसे मजबूत करने के लिए उसकी भुजा पर तिलक लगाएं। इसके अलावा ऐसा करने से हाथों से संबंधित बीमारियां भी नहीं होती हैं। यह शक्ति और साहस का भी प्रतीक है।

What is the reason behind applying tilak? in English

Applying Tilak is a special ritual used in the Hindu tradition.
यह भी जानें

Blogs Apply Tilak BlogsSanatan Dharma BlogsHindu Tradition BlogsKumkum Tilak BlogsGorochan BlogsAshtagandha Tilak BlogsSaffron Tilak BlogsChandan Tilak Blogs

अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ब्लॉग को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

तिलक के प्रकार

तिलक एक हिंदू परंपरा है जो काफी समय से चली आ रही है। विभिन्न समूह विभिन्न प्रकार के तिलकों का उपयोग करते हैं।

नमस्कार करने के फायदे

नमस्कार भक्ति, प्रेम, सम्मान और विनम्रता जैसे दिव्य गुणों की एक सरल और सुंदर अभिव्यक्ति है।

भगवान श्री विष्णु के दस अवतार

भगवान विष्‍णु ने धर्म की रक्षा हेतु हर काल में अवतार लिया। भगवान श्री विष्णु के दस अवतार यानी दशावतार की प्रामाणिक कथाएं।

पौष मास 2024

पौष मास, यह हिंदू महीना मार्गशीर्ष मास के बाद आता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार 10वां महीना है।

अधूरा पुण्य

दिनभर पूजा की भोग, फूल, चुनरी, आदि सामिग्री चढ़ाई - पुण्य; पूजा के बाद, गन्दिगी के लिए समान पेड़/नदी के पास फेंक दिया - अधूरा पुण्य

तुलाभारम क्या है, तुलाभारम कैसे करें?

तुलाभारम और तुलाभरा जिसे तुला-दान के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन हिंदू प्रथा है यह एक प्राचीन अनुष्ठान है। तुलाभारम द्वापर युग से प्रचलित है। तुलाभारम का अर्थ है कि एक व्यक्ति को तराजू के एक हिस्से पर बैठाया जाता है और व्यक्ति की क्षमता के अनुसार बराबर मात्रा में चावल, तेल, सोना या चांदी या अनाज, फूल, गुड़ आदि तौला जाता है और भगवान को चढ़ाया जाता है।

महा शिवरात्रि विशेष 2025

बुधवार, 26 फरवरी 2025 को संपूर्ण भारत मे महा शिवरात्रि का उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? | आरती: | चालीसा | मंत्र | नामावली | कथा | मंदिर | भजन

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Aditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya Stotra
×
Bhakti Bharat APP