कला का अर्थ है संस्कृत में प्रदर्शन कला। चौसठ कला या चतुर्दशी कला के रूप में जानी जाने वाली 64 पारंपरिक कलाओं में से कई की महारत ने प्राचीन भारत के कई हिस्सों में एक सुसंस्कृत व्यक्ति के विकास में एक महत्वपूर्ण आधार बनाया।
ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण के पास ये कलाएं हैं। कंस का वध और धागा समारोह के बाद, कृष्ण और बलराम अवंती (उज्जैन) शहर में गुरु सांदीपनि के आश्रम गए। वहां 64 दिनों के भीतर, भगवान कृष्ण ने चौदह प्रकार के विज्ञान (विद्या) और चौंसठ कला सीखी। (कला), जिनमें से प्रत्येक को पूरा करने में एक सामान्य व्यक्ति को दो से ढाई साल लगेंगे।
क्या है 14 विद्या और 64 कला:
4 वेद
ऋग्वेद
सामवेद
यजुर्वेद
अथर्ववेद
4 उपवेद (ज्ञान के धाम)
अर्थशास्त्र: राज्य शिल्प, आर्थिक नीति और सैन्य रणनीति पर प्राचीन ग्रंथ।
धनुर्वेद: तीरंदाजी का विज्ञान
गंधर्ववेद: प्रदर्शन कलाओं पर ग्रंथ, जिसमें रंगमंच, नृत्य और संगीत शामिल हैं।
आयुर्वेद: आयुर्वेद शब्द में आयुस शब्द शामिल हैं, जिसका अर्थ है "दीर्घायु", और वेद, जिसका अर्थ है "ज्ञान से संबंधित" या "विज्ञान"। इस प्रकार आयुर्वेद जीवन का विज्ञान है।
6 वेदांग
शिक्षा: संस्कृत का ध्वन्यात्मक विज्ञान और स्वर विज्ञान, इसका उद्देश्य वैदिक भजनों और मंत्रों के सही उच्चारण की शिक्षा देना है।
कल्प: कर्मकांड की कला
व्याकरण: व्याकरण की संस्कृत व्याकरणिक परंपरा।
निरुक्त: व्युत्पत्ति की कला, विशेष रूप से अस्पष्ट शब्दों की। इसमें शब्द अर्थ निकालने के लिए संक्षिप्त नियम (सूत्र) होते हैं, जो कठिन या दुर्लभ वैदिक शब्दों की शब्दावलियों के साथ पूरक होते हैं।
छंदा: शास्त्रीय संस्कृत कविता में वैदिक मीटर का अध्ययन।
ज्योतिष: ज्योतिष की प्रणाली, पारंपरिक रूप से तीन शाखाओं से मिलकर बनी है:
1. सिद्धांत: पारंपरिक भारतीय खगोल विज्ञान
2ए. संहिता
2बी. मेदिनी ज्योतिष: युद्ध, भूकंप, राजनीतिक घटनाओं, वित्तीय स्थिति, चुनाव आदि जैसी सामान्य पारगमन घटनाओं के देश की कुंडली में ज्योतिषीय गतिशीलता के विश्लेषण के आधार पर महत्वपूर्ण घटनाओं की भविष्यवाणी; वास्तु शास्त्र से संबंधित मामले, पशु, अंश, शगुन आदि।
3. होरा: जन्म कुंडली के विश्लेषण पर आधारित भविष्यसूचक ज्योतिष और जिस क्षण कोई प्रश्न किया जाता है।
64 कला (चौसठ)
1. धातु शोधन:- कच्चा-पक्का तथा मिश्र धातु को शोधन कर्म या उस मिश्र धातु को अलग करने की कला
2. वास्तु विद्या:- भवन/महल, House निर्माण की कला
3. शुकसारिका:- तोते की भाषा समझने वाला
4. छंद और अभिधान कोष:- मूल्याङ्कन शब्द और छंद का ज्ञानी
5. छल विद्या:- चलाखी से लोगों को फ़साने की कला
6. वस्त्र गोपन (सिलाई):- फटे कपडे सिलना
7. जलतरंग:- पानी से भरे बर्तन को वाद्य साधन के तहत ध्वनि निर्माण करने की क्रिया
8. शैय्या रचना:- बिस्तर या सेज को सजाना
9. चित्रकला:- चित्र, कला-कौशल, अंकित करने की कला
10. अभिनय:- नाटक में Acting की कला
11. पानक रस:- शराब और पेयजल तैयार करने की कला
12. दुर्वाच:- निश्चित रूप से कठिन शब्दों का अर्थ निकालना
13. आकर ज्ञान:- निधि/खनिज के विषय का ज्ञान
14. वृक्षायुर्वेद:- बाग़ बगीचा, कुंज सजाने की कला पेड़-पौधे का तपेदिक
15. पट्टिका वेत्रवाण कल्प:- बिस्तर खटिए के लिए कपड़ा बुनने की कला
16. अनुशासनिक:- विनयशीलता, सभ्यता का ज्ञानी
17. व्यायाम विद्या:- अखाडा, व्यायाम के बारे में पूरी जानकारी रखनेवाला
18. विजय कौशल विद्या:- दुसरो पर विजय पाने का कला -
19. बालक्रीड़ा कर्म:- बच्चों का मनोरंजन करने की कला
20. पाक-विपाक:- खाना पकाने की क्रिया, Cook
21. पुस्तक वाचन:- काव्यालंकार, साहित्य, ग्रन्थ पढ़ने की कला
22. भाषाज्ञान:- अनेक भाषा, देश-विदेश की भाषा को जाननेवाला
23. प्रहेलिका:- कूट प्रश्न, उखाने या काव्य रूपात्मक सवाल करना
24. कौचुमार:- भद्दा या विकृत मनुष्य के चेहरेपर लालित्य/चारुता लाने की कला
25. प्रतिमाला:- अंताक्षरी में माहिर या जिसके पास उसकी कला हो
26. हस्तलाघव:- हाथ से शिल्पकला बनाने की क्रिया
27. आकर्षण:- दूसरों का प्रलोभित या आकर्षित करना
28. काव्य समस्यापूर्ति:- आधे में छोड़े गए काव्य को पूरा करना या कविता करना
29. मणिभूमिका:- भूमिपर मणियोंसे रचना करने की कला
30. धारण मातृका:- यादाश्त को बढ़ाना, प्रज्ञा शक्ति
31. सम्पाठय:- दूसरों की बोली की नक़ल करना
32. अत्तर विकल्प:- फूल से इत्र तैयार करने की कला
33. यंत्र मातृका:- विभिन्न यंत्रो का निर्माण करना
34. गन्धयुक्ति:- सुगन्धित लेप, चूर्ण बनाना
35. द्यूत क्रीड़ा:- जुआ खेलना (Gambling)
36. क्रिया विकल्प:- माल या सामान के प्रभाव को बदल देना
37. मानसी काव्यक्रिया:- त्वरित काव्य की रचना करना
38. आभूषण:- सोने-चांदी और मोती-रत्न से शरीर की सजावट करने की कला
39. केशशेखर:- किरीट/मुकुट और बालो को फूलों से सजाने की क्रिया
40. मेष कुक्कुट लावक:- युद्ध विधि मुर्गी, बकरा, साँप-नेवले आदि प्राणियों की लड़ाई लगानेवाला
41. माल्यग्रथन:- चोटी, माला, तोरण हार बनाना
42. विशेष कच्छेद ज्ञान:- माथेपर लगाए जानेवाले तिलकों का ढांचा तैयार करने की कला
43. मणिराग:- वर्ण, रंग से रत्न की परीक्षा करके उसकी पहचान करना
44. पुष्प शकटिका निमित्त ज्ञान:- स्वाभाविक लक्षणों से भविष्य बताना
45. तंडुल कुसुमावलि:- सफ़ेद, वर्णित चावल से और फूलों से चित्र या रंगोली निकालना
46. संगीत कला:- संगीत का गहन ज्ञान रखनेवाला
47. नृत्य कला:- नाट्य कला
48. केशमार्जन:- सिर को तेल की मालिश करने की कला
49. उदकघात:- जलविहार, रंगीन पानी से पिचकारी बनाना
50. नेपथ्य:- मौसम के अनुसार वस्त्राभूषण का चयन करना
51. पुष्पास्तरण:- फूलों से कलाकृति कर बिस्तर सजाना
52. कर्णपत्र:- पत्ते और फूल से कान की बालियाँ बनाना
53. उत्सादन:- शरीर को तेल मालिश करना या रगड़ना
54. दंश वसन क्रिया:- दाँत, कपडे और तन को सजाना
55. रत्नरौप्य परिक्षण:- अमूल्य रत्न और विशेष धातुओं का परिक्षण करना
56. तुर्क कर्म:- चरखा चलना या चरखे से धागा निकालना
57. तक्षण कर्म:- लकड़ी पर नक्शी का कला निकालने की कला
58. अक्षर मुष्टिका कथन:- हाथ के उँगलियो से सम्भाषण करने के की कला
59. सूत्र सूचिकर्म:- कपडे पर रफू करना
60. म्लेंछीत कला विकल्प:- परभाषा ज्ञान की जानकारी होना
61. माल्य ग्रन्थ विकल्प:- जो कपड़ों के बारे में विशेष ज्ञान रखता हो
62. चित्रकला:- जो रेती से चित्र निकालने की कला को जानता हो. या रेती से कलाकृति बनाता हो
63. इंद्रजाल:- जादू-टोना, मन्त्र-तंत्र की विज्ञा का ज्ञान
64. कायाकल्प:- वृद्ध व्यक्ति को युवा बनाना या उसे अपनी कला से युवा जैसा दिखाना
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार यह 64 कला थी। आज के समय में पुरुष हो या महिला, उनमें कई कौशल देखने को मिलते हैं, लेकिन कहीं न कहीं वे सभी कलाएं या कौशल इन 64 कलाओं में से किसी एक की प्रतिकृति होंगे।
कृष्ण मंत्र:
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अच्युतस्याष्टकम्
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कमल नेत्र स्तोत्रम्
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श्री राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत्र
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दामोदर अष्टकम
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श्री पंच-तत्व प्रणाम मंत्र
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श्री गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्रम्
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मदन मोहन अष्टकम
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भावयामि गोपालबालं
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श्री दशावतार स्तोत्र: प्रलय पयोधि-जले
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विष्णु सहस्रनाम
श्री कृष्ण कथा:
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गोपेश्वर महादेव की लीला
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जगन्नाथ महाप्रभु का महा रहस्य
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कृष्ण मंदिर:
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ब्रजभूमि के प्रसिद्ध मंदिर
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सप्त मोक्ष पुरी
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द्वारका, गुजरात के विश्व विख्यात मंदिर
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गोस्वामी तुलसीदास की सूरदास जी से भेंट
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