Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel
Hanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowAditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya StotraFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

राहुकाल क्या होता है? (What is Rahu Kaal?)

राहु ग्रह को एक पाप ग्रह माना गया है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में राहु को शुभ कार्यों में बाधक ग्रह बताया गया है, इसलिए राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य या यात्रा शुरू नहीं करनी चाहिए।
राहु कलाम दिन का सबसे प्रतिकूल समय है, इस समय किए गये कार्य अनुकूल परिणाम नहीं देते हैं। ग्रहों के गोचर में हर दिन सभी ग्रहों का एक निश्चित समय होता है, इसलिए राहु के लिए भी हर समय एक दिन आता है, जिसे राहु काल कहा जाता है।

राहुकाल का समय:
राहु काल कभी भी दिन के पहले भाग में नहीं आता है। यह कभी दोपहर में तो कभी शाम को आती है और सूर्यास्त से पहले गिर जाता है। राहुकाल कभी रात में नहीं आता

राहुकाल का समय कैसे पता करें:
राहु काल को खोजने के लिए ज्योतिष में एक नियम बनाया गया है। इसके अनुसार सूर्योदय से सूर्यास्त तक के पूरे दिन को आठ बराबर भागों में बांटा गया है। इसमें सूर्योदय का प्रातः ६ बजे तथा सूर्यास्त का सायं ६ बजे का मानक समय होता है। इसलिए सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक का समय 12 घंटे था।

अगर आप इस 12 घंटे को 8 बराबर भागों में बांट दें तो एक हिस्सा करीब डेढ़ घंटे का होता है। ज्योतिषी हमेशा शुभ मुहूर्त की गणना करते समय इन 90 मिनटों को छोड़ देते हैं। अलग-अलग जगहों पर सूर्योदय-सूर्यास्त का अलग-अलग समय होने के कारण इस समय में कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है।

ज्योतिष के अनुसार राहुकाल को कैसे विभाजित करें:
दिन का दूसरा भाग सोमवार को सुबह 7.30 बजे से रात 9 बजे तक
शनिवार को दिन के तीसरे भाग में सुबह 9 बजे से 10.30 बजे तक
शुक्रवार को दिन के चौथे पहर सुबह 10.30 बजे से दोपहर 12 बजे तक
बुधवार को दिन के पांचवें पहर दोपहर 12 बजे से 1.30 बजे तक।
गुरुवार को दिन का छठा भाग दोपहर 1.30 बजे से दोपहर 3 बजे तक
मंगलवार को दिन का सातवां भाग दोपहर 3 बजे से शाम 4.30 बजे तक
रविवार को, दिन का आठवां भाग, शाम 4.30 बजे से शाम 6 बजे तक

राहु काल की अवधि भी अलग-अलग स्थानों पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के अनुसार बदलती रहती है।

What is Rahu Kaal? in English

In the transit of planets, all the planets have a fixed time each day, so every time a day comes for Rahu also, which is called Rahu Kaal.
यह भी जानें

Blogs Rahu Kaal BlogsAsubh Kaal BlogsRahu Blogs

अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ब्लॉग को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

पौष मास 2024

पौष मास, यह हिंदू महीना मार्गशीर्ष मास के बाद आता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार 10वां महीना है।

अधूरा पुण्य

दिनभर पूजा की भोग, फूल, चुनरी, आदि सामिग्री चढ़ाई - पुण्य; पूजा के बाद, गन्दिगी के लिए समान पेड़/नदी के पास फेंक दिया - अधूरा पुण्य

तुलाभारम क्या है, तुलाभारम कैसे करें?

तुलाभारम और तुलाभरा जिसे तुला-दान के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन हिंदू प्रथा है यह एक प्राचीन अनुष्ठान है। तुलाभारम द्वापर युग से प्रचलित है। तुलाभारम का अर्थ है कि एक व्यक्ति को तराजू के एक हिस्से पर बैठाया जाता है और व्यक्ति की क्षमता के अनुसार बराबर मात्रा में चावल, तेल, सोना या चांदी या अनाज, फूल, गुड़ आदि तौला जाता है और भगवान को चढ़ाया जाता है।

महा शिवरात्रि विशेष 2025

बुधवार, 26 फरवरी 2025 को संपूर्ण भारत मे महा शिवरात्रि का उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? | आरती: | चालीसा | मंत्र | नामावली | कथा | मंदिर | भजन

नया हनुमान मन्दिर का प्राचीन इतिहास

नया हनुमान मन्दिर को उन्नीसवीं शती के आरम्भ में सुगन्धित द्रव्य केसर विक्रेता लाला जटमल द्वारा 1783 में बनवाया गया।

तनखैया

तनखैया जिसका अर्थ है “सिख पंथ में, धर्म-विरोधी कार्य करनेवाला घोषित अपराधी।

कल्पवास

प्रयाग के संगम तट पर एक माह रहकर लोग कल्पवास करते हैं। यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। ’कल्पवास‘ एक ऐसा व्रत है जो प्रयाग आदि तीर्थों के तट पर किया जाता है।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
×
Bhakti Bharat APP