महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवन शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, तीर्थस्थल जिन्हें शिव का सबसे पवित्र निवास कहा जाता है। यह भारत के मध्य प्रदेश राज्य के प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर 'महाकाल लोक' का उद्घाटन किया। उज्जैन में महाकाल लोक ऐसे आकर्षक और सुविधाजनक मंदिर परिसर के रूप में सामने आ रहा है, जो आलौकिक आनंद की अनुभूति करवाएगा।
महाकाल लोक की वास्तुकला
❀ महाकाल कॉरिडोर 900 मीटर लंबा है, इस कॉरिडोर में 190 मूर्तियां हैं, जो भगवान शिव के अलग-अलग रूपों को दिखाती है।
❀ यहां दो भव्य प्रवेश द्वार- नंदी द्वार और पिनाकी द्वार बने हैं। इसमें त्रिशूल के डिजाइन के 108 स्तंभ हैं। साथ ही शिव पुराण की कहानियों को दर्शाने वाले 50 भित्ति चित्र बनाए गए हैं।
❀ यहां पर कालिदास के 'अभिज्ञान शकुंतलम' में उल्लेखित बागवानी प्रजातियों को भी गलियारे में लगाया गया है. इसमें रुद्राक्ष, बकुल, कदम, बेलपत्र और सप्तपर्णि जैसी धार्मिक महत्व वाली 40-45 प्रजातियां हैं।
❀ राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से मंगाए गए खास बलुआ पत्थर यहां लगाए गए हैं। राजस्थान, गुजरात और ओडिशा के कलाकारों ने इस कॉरिडोर को तैयार किया है।
❀ महाकाल लोक मैं प्रथम चरण के तहत पैदल यात्री, भीड़ प्रबंधन, तीर्थ यात्री सुविधाएं, संस्कृति और विरासत सुरक्षा एवं पर्यावरण को ध्यान रखकर ही मंदिर विस्तार की योजना बनाई गई है।
महाकाल लोक में सुविधाएं
महाकाल लोक में एक समय में करीब 20 हजार तीर्थ यात्री आ सकते हैं। इसमें दो द्वार, मूर्तियों के साथ लैंडस्केप, गार्डन क्षेत्र, रूद्रसागर तट क्षेत्र, शिव स्तम्भ, सप्तऋषि स्थापित हैं। यहां ओपन एयर थियेटर और मुक्त आकाश मंच भी है। यहां फूड कोर्ट, हस्तशिल्प कलाकृति, धार्मिक वस्तुओं एवं फूलों की करीब 130 दुकानों का निर्माण किया गया है। 400 कार की क्षमता वाली पार्किंग के साथ ई-रिक्शा की भी सुविधा है।
पुराणों में बताए गए 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। जब भगवान श्रीकृष्ण शिक्षा लेने के लिए उज्जैन आए थे, तब उन्होंने महाकाल स्त्रोत का गान किया था। तुलसीदास ने भी महाकाल मंदिर का उल्लेख किया है।
कई काव्य कथाओं में भी महाकाल मंदिर का उल्लेख मिलता है। चौथी शताब्दी में लिखे गए मेघदूतम के पहले भाग में भी महाकाल का उल्लेख है। कालिदास ने भी महाकाल का उल्लेख है। कालिदास ने भी महाकाल मंदिर के बारे में बताया है। उज्जैन भी शिक्षा का बड़ा केंद्र रहा है। प्राचीन समय में इसे अवंतिका कहा जाता था।