Haanuman Bhajan
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र - Gajendra Moksham StotramDownload APP Now - Download APP NowHanuman Chalisa - Hanuman ChalisaFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

वैदिक पौराणिक शंख (Vaidik Pauranik Shank)

वैदिक पौराणिक शंख
श्रीमद्‍भगवद्‍गीता: अर्जुनविषादयोग - श्लोक 15
श्रीकृष्ण महाराज ने पाञ्चजन्य नामक, अर्जुन ने देवदत्त नामक और भयानक कर्मवाले भीमसेन ने पौण्ड्र नामक महाशंख बजाया।
श्रीमद्‍भगवद्‍गीता: अर्जुनविषादयोग - श्लोक 16
कुन्तीपुत्र राजा युधिष्ठिर ने अनन्तविजय नामक और नकुल तथा सहदेव ने सुघोष और मणिपुष्पक नामक शंख बजाए।

भगवान श्रीकृष्ण के शंख का क्या नाम था?
भगवान श्रीकृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के बाद अपना पाञ्चजन्य शंख पराशर ऋषि के तीर्थ में रखा था। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि श्रीकृष्ण का यह शंख आदि बद्री में सुरक्षित रखा है।

अर्जुन के शंख का क्या नाम था?
देवदत्त शंख:
यह शंख महाभारत में अर्जुन के पास था। वरुणदेव ने उन्हें यह भेंट में दिया था। इसका उपयोग दुर्भाग्यनाशक माना गया है। माना जाता है कि इस शंख का उपयोग न्याय क्षेत्र में विजय दिलवाता है। न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोग इसकी पूजा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस शंख को शक्ति का प्रतीक भी माना गया है।

भीमसेन के शंख का क्या नाम था?
पौण्ड्र शंख:
पोंड्रिक या पौण्ड्र शंख महाभारत में ‍भीष्म के पास था। जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो उन्हें यह पौण्‍ड्र शंख रखना चाहिए। इसके घर में रखे होने से मनोबल बढ़ता है। अधिकतर इसका उपयोग विद्यार्थियों के लिए उत्तम माना गया है। इसे विद्यार्थियों के अध्ययन कक्ष में पूर्व की ओर रखना चाहिए।

युधिष्ठिर के शंख का क्या नाम था?
युधिष्ठिर के शंख का नाम अनन्तविजय था।

नकुल के शंख का क्या नाम था?
नकुल के शंख का नाम सुघोषमणि था।

सहदेव के शंख का क्या नाम था?
सहदेव के शंख का नाम मणिपुष्पक था।

भीष्म के शंख का क्या नाम था?
भीष्म के शंख का नाम गंगनाभ था।

कर्ण के शंख का क्या नाम था?
कर्ण के शंख का नाम हिरण्यगर्भ था।

धर्ष्टद्युमना के शंख का क्या नाम था?
धर्ष्टद्युमना के शंख का नाम यज्ञघोष था।

दुर्योधन के शंख का क्या नाम था?
दुर्योधन के शंख का नाम विदारक था।

शंख की पूजा का मंत्र

विश्व का सबसे बड़ा शंख केरल राज्य के गुरुवयूर के श्रीकृष्ण मंदिर में सुशोभित है, जिसकी लंबाई लगभग आधा मीटर है तथा वजन दो किलोग्राम है।

शंख को समुद्रज, कंबु, सुनाद, पावनध्वनि, कंबु, कंबोज, अब्ज, त्रिरेख, जलज, अर्णोभव, महानाद, मुखर, दीर्घनाद, बहुनाद, हरिप्रिय, सुरचर, जलोद्भव, विष्णुप्रिय, धवल, स्त्रीविभूषण, पाञ्चजन्य, अर्णवभव आदि नामों से भी जाना जाता है।

कामधेनु शंख, गोमुखी शंख, महालक्ष्मी शंख, कौरी शंख, वीणा शंख, देव शंख, चक्र शंख, राक्षस शंख, शनि शंख, राहु शंख, पंचमुखी शंख, वालमपुरी शंख, बुद्ध शंख, केतु शंख, शेषनाग शंख, कच्छप शंख, शेर शंख, कुबार गदा शंख, सुदर्शन शंक, विष्णु शंख, पांचजन्य शंख, अन्नपूर्णा शंख, मोती शंख, हीरा शंख, टाइगर शंख आदि।

उपरोक्त सभी तरह के शंख किसी न किसी विशेष कार्य और लाभ के लिए घर में रखे जाते हैं। इनमें से अधिकतर तो दुर्लभ है जिनके यहां मात्र नाम दिए जा रहे हैं। भगवान शंकर रुद्र शंख को बजाते थे जबकि उन्होंने त्रिपुरासुर के संहार के समय त्रिपुर शंख बजाया था।

द्विधासदक्षिणावर्तिर्वामावत्तिर्स्तुभेदत:
दक्षिणावर्तशंकरवस्तु पुण्ययोगादवाप्यते
यद्गृहे तिष्ठति सोवै लक्ष्म्याभाजनं भवेत्

शंख कई प्रकार के होसकते हैं, परंतु मुख्य रूप से इनके 3 प्रमुख प्रकार हैं: वामावर्ती, दक्षिणावर्ती तथा गणेश शंख या मध्यवर्ती शंख।

1. गणेश शंख: समुद्र मंथन के दौरान रत्न के रूप में सर्वप्रथम गणेश शंख की ही उत्पत्ति हुई थी। इसे गणेश शंख इसलिए कहते हैं क्योंकि इसकी आकृति गणेशजी जैसी पिरामिडनुमा होती है, शंख में निहित सूंड का रंग अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्ययुक्त होता है। प्रकृति के रहस्य की अनोखी झलक गणेश शंख के दर्शन से मिलती है। यह शंख दरिद्रतानाशक और धन प्राप्ति का कारक है।

2. दक्षिणावर्ती शंख: इस शंख को दक्षिणावर्ती इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसका पेट दाईं और खुलता है। इस शंख को देवस्वरूप माना गया है। दक्षिणावर्ती शंख के पूजन से खुशहाली आती है और लक्ष्मी प्राप्ति के साथ-साथ संपत्ति भी बढ़ती है। दक्षिणावर्ती शंख 2 प्रकार के होते हैं नर और मादा। जिसकी परत मोटी हो और भारी हो वह नर और जिसकी परत पतली हो और हल्का हो, वह मादा शंख होता है।

3. वामवर्ती शंख: वामवर्ती शंख का पेट बाईं ओर खुला होता है। इसकी ध्वनि से रोगोत्पादक कीटाणु कमजोर पड़ जाते हैं। यह शंख आसानी से मिल जाता है, क्योंकि यह बहुतायत में पैदा होता है।

Vaidik Pauranik Shank in English

Vedic mythological conch, name and type of conch, glory of conch. what was the name of Lord Sri Krishna, Arjuna, Bhimsen, Yudhishthira, Nakula, Sahadeva, Sahadeva and Bhishma's conch?
यह भी जानें

Blogs Vaidik BlogsShank BlogsConch BlogsBhagvadgita BlogsMahabharat BlogsQnA BlogsQuestion And Answer Blogs

अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ब्लॉग को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

चैत्र मास 2025

चैत्र मास, हिंदू कैलेंडर का पहला महीना, जो हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। हिन्दू वर्ष का प्रथम मास होने के कारण चैत्र का विशेष महत्व है। चैत्र मास की पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में है, इसलिए इस मास का नाम चैत्र है। चैत्र का महीना मार्च या अप्रैल में आता है।

आंवला नवमी पर राधा पद दर्शन

आंवला नवमी या अनला नवमी के शुभ अवसर पर, हजारों भक्त प्रसिद्ध राधा पद दर्शन अनुष्ठान के लिए सखीगोपाल मंदिर, पुरी, ओडिशा में भगवान श्री कृष्ण के प्रसिद्ध गोपीनाथ मंदिर जाते हैं।

दीवाली विशेष 2024

दीवाली/दीपावली क्यों, कब, कहाँ और कैसे? आरती माँ लक्ष्मीजी, भगवान श्री कुबेर जी की आरती, आरती श्री गणेश जी, आरती श्री रामचन्द्र जी की कीजै, श्री गोवर्धन महाराज आरती

कार्तिक मास 2024

कार्तिक मास हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अक्टूबर और नवंबर में आता है। भारत के राष्ट्रीय नागरिक कैलेंडर में, कार्तिक वर्ष का आठवां महीना है।

पवित्र कार्तिक मास में क्या करें?

कार्तिक मास (माह) हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र महीना है, इस महीने की अधिष्ठात्री देवी श्रीमती राधारानी हैं। इस वर्ष 2023 कार्तिक मास 29 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 27 नवंबर को समाप्त होगा।

आयुध पूजा

आयुध पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत और देवी दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर के विनाश के उत्सव का प्रतीक है। इसे नवरात्रि उत्सव के हिस्से के रूप में मनाया जाता है। आयुध पूजा के लिए, देवी सरस्वती, पार्वती माता और लक्ष्मी देवी को पूजा जाता है। दक्षिण भारत में विश्वकर्मा पूजा के समान लोग अपने उपकरणों और शस्त्रों की पूजा करते हैं।

मैसूर दशहरा

मैसूर दशहरा 10 दिनों तक चलने वाला त्योहार है जो बहुत ही धूमधाम के साथ मैसूर में मनाया जाता है | मैसूर दशहरा कैसे मनाया जाता है? | मैसूर दशहरा महोत्सव 2024 कब शुरू होगा

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
×
Bhakti Bharat APP