मेलडी माता एक हिंदू देवी है, वह मुख्य रूप से सौराष्ट्र क्षेत्र यानी गुजरात राज्य में प्रसिद्ध है। मां मेलडी दुर्गा का ही स्वरुप हैं। माता गुजरात राज्य में कुछ लोगों के लिए चुनवा दिया कोली के रूप में पूजनीय हैं और कुछ लोगों के लिए गृहदेवता हैं जो खेत की रक्षा करती हैं। कहते हैं मां मेलडी की पूजा से भक्तों को
भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है, किंवदंती कहती है कि मेलडी माता भक्तों की कोई भी इच्छा पूरी करती हैं।
माता मेलडी का स्वरुप:
माता मेलडी के आठ हाथ हैं जिनमें तरह-तरह के हथियार हैं। मेलडी माता के एक हाथ में बोतल, दूसरे में खंजर, तीसरे में त्रिशूल, चौथे में तलवार, पांचवें में गदा, छठवें में चक्र, सातवें में कमल, आठवें में अभय की मुद्रा होती है। मेलडी माता के हाथ में स्थित बोतल में समस्त तांत्रिक शक्तियां बंद होती हैं। मेलडी माता का वाहन एक बकरी है।
माता मेलडी की किंवदंती:
प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक धरती पर अमरुवा दैत्य के अत्याचारों से क्रोधित होकर
भगवती उमा प्रकट हुई। उन्होंने अमरुवा दैत्य के विरुद्ध युद्ध शुरु किया। जब क्रोधित देवी उमा ने अमरुवा को पराजित करने के बाद उसकी हत्या करनी चाही। तो वह जाकर मृत गाय की खाल में छुप गया। उसके छिपने के अपवित्र स्थान को देखकर माता वहां से दूर खड़ी हो गईं और क्रोध के मारे हाथ मलने लगीं। हाथ रगड़ने से देवी के हाथ से मैल निकला और उससे पांच वर्ष की कन्या के रुप में मेलडी माता उत्पन्न हुईं, उन्होंने बात ही बात में अमरुवा दैत्य का वध कर दिया।
मेलडी माता की इस असीम क्षमता से जगदंबा अति प्रसन्न हुईं, उन्होंने अपना
नवदुर्गा स्वरुप प्रकट किया। नौ देवियों ने प्रत्यक्ष होकर मेलडी माता को आशीर्वाद दिया और कहा, तुम्हारा स्वरुप कलियुग की महाशक्ति रूप के लिये हुआ है तुम कलियुग के विकार अर्थात मैल, काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह और मत्सर का नाश करने वाली शक्ति हो। इसलिए सारा संसार तुम्हे श्री मेलडी माता के रूप में पूजा करेगा।
माता मेलडी को पूजा करने की बिधि:
मान्य है की पूर्ण श्रद्धा के साथ माता मेलडी की पूजा करने से 21 दिनों के भीतर माता भक्तों की कोई भी इच्छा पूरी करती हैं। गुजरात के आणंद जिले में मेलडी माता का एक मंदिर है, पूरे साल भक्त यहाँ आते हैं और मेलडी माता के दर्शन करते हैं।