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बुढ़वा मंगल विशेष 2024 (Budhwa Mangal Specials)

बुढ़वा मंगल विशेष 2024
भादौं माह के अंतिम मंगलवार को माए जाने वाला त्यौहार बुढ़वा मंगल, मध्य उत्तर प्रदेश अर्थात व्रज मंडल में हनुमान जी का सबसे प्रसिद्ध उत्सव है। इस पर्व की महत्ता इतनी अधिक है कि स्थानीय लोग हनुमान जयंती से भी अधिक भव्य इस त्यौहार को मानते हैं। इस वर्ष बुढ़वा मंगल एवं राधाष्टमी दोनों ही पर्व एक ही दिन अर्थात 17 सितंबर 2024 को आयोजित किए जा रहे हैं।
भक्ति-भारत ने कुछ प्रमुख आरती, भजन, कथा, मंदिर एवं अन्य पूजा-अर्चना के लिए सहायक सामिग्रि को एक साथ एकत्र करने का प्रयास किया है। आशा है कि यह आपको पसंद आएगा..

बुढ़वा मंगल क्यों, कब, कहाँ और कैसे?
बुढ़वा मंगल - Budhwa Mangal

हनुमान आरती:
हनुमान आरती
बालाजी आरती
श्री राम स्तुति: श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
त्रिमूर्तिधाम: श्री हनुमान जी की आरती

हनुमान चालीसा:
हनुमान चालीसा

मंत्र / नामावली:
संकट मोचन हनुमानाष्टक
श्रीहनुमत् पञ्चरत्नम्
श्री हनुमान स्तवन - श्रीहनुमन्नमस्कारः
श्री हनुमान अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली
हनुमान द्वादश नाम स्तोत्रम

हनुमान भजन:
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन
बजरंग बाण
राम ना मिलेगे हनुमान के बिना
वीर हनुमाना अति बलवाना
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना
बालाजी मने राम मिलन की आस
संकट के साथी को हनुमान कहते हैं
हनुमान भजन

हनुमान कथा:
श्री हनुमान! मंगलवार व्रत कथा
सुन्दरकाण्ड पाठ
श्री हनुमान गाथा

हनुमान मंदिर:
दिल्ली के प्रसिद्ध हनुमान बालाजी मंदिर
हनुमान बरी, नगला खुशहाली
श्री मकरध्वज हनुमान मंदिर, बेट द्वारिका
डुल्या मारुति मंदिर, पुणे
108 फुट संकट मोचन धाम, दिल्ली
बड़ा हनुमान मंदिर, ब्रिजघाट गढ़मुक्तेश्वर
श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर, जयपुर
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर, जयपुर
दर्शन मुखी श्री हनुमान मंदिर, शेरगढ़ किला धौलपुर
पनकी हनुमान मंदिर, कानपुर
रामचंडी हनुमान मंदिर, पुरी

भोग, प्रसाद बनाने की विधि:
चूरमा के लड्‍डू
साबूदाने की खीर

Budhwa Mangal Specials in English

This year Budhwa Mangal and Radhashtami Festival is on the same day Tuesday, 17 September 2024.
यह भी जानें

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पौष मास 2024

पौष मास, यह हिंदू महीना मार्गशीर्ष मास के बाद आता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार 10वां महीना है।

अधूरा पुण्य

दिनभर पूजा की भोग, फूल, चुनरी, आदि सामिग्री चढ़ाई - पुण्य; पूजा के बाद, गन्दिगी के लिए समान पेड़/नदी के पास फेंक दिया - अधूरा पुण्य

तुलाभारम क्या है, तुलाभारम कैसे करें?

तुलाभारम और तुलाभरा जिसे तुला-दान के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन हिंदू प्रथा है यह एक प्राचीन अनुष्ठान है। तुलाभारम द्वापर युग से प्रचलित है। तुलाभारम का अर्थ है कि एक व्यक्ति को तराजू के एक हिस्से पर बैठाया जाता है और व्यक्ति की क्षमता के अनुसार बराबर मात्रा में चावल, तेल, सोना या चांदी या अनाज, फूल, गुड़ आदि तौला जाता है और भगवान को चढ़ाया जाता है।

महा शिवरात्रि विशेष 2025

बुधवार, 26 फरवरी 2025 को संपूर्ण भारत मे महा शिवरात्रि का उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? | आरती: | चालीसा | मंत्र | नामावली | कथा | मंदिर | भजन

नया हनुमान मन्दिर का प्राचीन इतिहास

नया हनुमान मन्दिर को उन्नीसवीं शती के आरम्भ में सुगन्धित द्रव्य केसर विक्रेता लाला जटमल द्वारा 1783 में बनवाया गया।

तनखैया

तनखैया जिसका अर्थ है “सिख पंथ में, धर्म-विरोधी कार्य करनेवाला घोषित अपराधी।

कल्पवास

प्रयाग के संगम तट पर एक माह रहकर लोग कल्पवास करते हैं। यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। ’कल्पवास‘ एक ऐसा व्रत है जो प्रयाग आदि तीर्थों के तट पर किया जाता है।

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