1.
ब्रजेश्र्वर महादेव: बरसाना: श्री राधा रानी के पिता भृषभानु जी भानोखर सरोवर मे स्नान करके नित्य ब्रजेश्वर महादेव की पूजा करते थे।
2.
नंदीश्र्वर महादेव: नन्दगाँव: यहाँ पर महादेवजी पर्वत रूप मे विराजित है जिनके ऊपर नंदभवन बना हुआ है।
3.
आसेश्र्वर महादेव: नन्दगाँव: यहाँ पर महादेवजी नंदलाला के(जन्म उत्सव के) दर्शन की आस लगाकर बैठे है।
4.
कामेश्र्वर महादेव: काम्य वन(कामा): यहाँ पर महादेव जी ने पार्वती जी की राधा तत्व की महिमा जानने की कामना पूर्ण की।
5.
रामेश्वर महादेव: काम्य वन(कामा)
6.
केदारनाथ महादेव: बिलोंद-कामा से 10 km आगे, सफेद शिलाओं के पर्वत पर बना प्राकृतिक मन्दिर।
7.
पशुपतीनाथ: पसोपा गांव कामा से 10 km दक्षिण मे है।
ब्रजवासीयों को लाला ने रामेश्वर, केदारनाथ व पशुपतीनाथ के दर्शन यही कराये थे तब से ये यही विराजमान है।
8.
चक्रेश्र्वर महादेव: गोवर्धन: तीनों नेत्रों से लाला का दर्शन करके महादेवजी की प्यास नहीं मिटी तो ठाकुरजी ने चार मुख प्रधान किये। महादेवजी यहाँ पर पंच मुखी है अत: पांच शिवलिंग है।
9.
भूतेश्र्वर महादेव: मथुरा: संसार में व्यक्ति के मर जानेपर उसके कर्म का लेखाजोखा यमराज करते है,
पर कहा जाता है की ब्रज में जो व्यक्ति मर जाता है उसका लेखाजोखा भूतेश्रवर महादेव करते है।
10.
रंगेश्र्वर महादेव: मथुरा: श्री कृष्ण ने मथुरा की रक्षार्थ इनको स्थापित किया था।
उत्तर: गोकर्ण महादेव।
पूर्व: पीप्लेश्र्वर महादेव।
दक्षिण: रंगेश्र्वर महादेव।
पश्चिम: भूतेश्रवर महादेव।
11.
चिंताहरण महादेव: मथुरा से 15 km दाऊजी के रास्ते में: यहाँ लीला आसेश्र्वर महादेवजी की तरह है।
श्रध्दा पूर्वक इनके दर्शन करने से सभी चिंताओं से मुक्ति हो जाती है।
12.
गोपेश्र्वर महादेव: वृंदावन: महादेव जी ने गोपी बनकर महारास में प्रवेश किया।