भक्तमाल : देवनारायण
वास्तविक नाम - देवनारायण गुर्जर
अन्य नाम - ११वीं कला का असवार, लीला घोडा का असवार, त्रिलोकी का नाथ, देवजी, देव महाराज, देव धणी, साडू माता का लाल, उधा जी, जय देवनारायण, राजा सवाई भोज गुर्जर का लाल
जन्म -
माघ शुक्ल सप्तमी
जन्म स्थान -
मालासेरी डूंगरी, मालासेरी, राजस्थान
वैवाहिक स्थिति - विवाहित
पिता - महाराजा सवाई भोज गुर्जर
माता - माता गुर्जरी साडू
पत्नी - पीपलदे
भाषा - मारवाड़ी, राजस्थानी
संगठनों की स्थापना -
गुज्जर समाजदेवनारायण जी राजस्थान के स्थानीय देवता, शासक और महान योद्धा थे। उन्हें एक सिद्ध पुरुष के रूप में माना जाता है जिन्होंने अपनी उपलब्धियों का उपयोग लोक कल्याण के लिए किया था।
देवनारायण जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, उनका भव्य मंदिर भीलवाड़ा के आसींद में है। उनके द्वारा किए गए अद्भुत किस्सों को लोग चमत्कार मानते हैं और उनके चमत्कारों के किस्से कहे और सुने जाते हैं। देवनारायण जी मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में पूजे जाते हैं।
देवनारायण जी का एक प्रमुख मंदिर वनस्थली से 9 किमी दूर निवाई तहसील के जोधपुरिया गांव में है। यह पूरे भारत में गुर्जर समुदाय का सबसे पौराणिक तीर्थ स्थल है। भोपा देवनारायण जी की पूजा करते हैं, यह भोपा जगह-जगह जाकर लपेटे हुए कपड़े पर देवनारायण जी की कथा गाकर देवनारायण की कथा सुनाते हैं। देवनारायण जी का फड़ राजस्थान के फड़ में सबसे लोकप्रिय और सबसे बड़ा है।
भगवान देवनारायण जी की दानशीलता
भगवान श्री देवनारायण जी के जन्म के बाद जब माता साडू गुर्जरी मालवा प्रदेश में पिता के घर पहुंचीं, तब अपने साथ अपना पशुधन- गायें, घोड़ें व बछड़ें सभी लेकर गईं थी। जब भगवान श्री देवनारायण जी बड़े हुए तो उन्हें चराने जाने लगे। इस दौरान एक भिक्षुक के मांगने पर देवजी ने अपनी कुछ गायें व बछड़ें उस भिक्षुक को दान कर दिये।
आयुर्वेद का ज्ञाता
भगवान श्री देवनारायण जी को 'आयुर्वेद का ज्ञाता' माना जाता है। भगवान देवनारायण ने औषधि के रूप में गाय के गोबर और नीम के महत्व को स्पष्ट किया। देवजी राज्य क्रांति के जनक भी माने जाते हैं।
भगवान देवनारायण जी की फड़
भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री देवनारायण जी की फड़ में कुल 1200 पेज तथा 335 गीत हैं। देवनारायण जी की फड़ का वाचन करते समय 'जंतर' नामक वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है। भगवान देवनारायण जी की फड़ देवजी की महागाथा है, जो मुख्यतः राजस्थान तथा मध्यप्रदेश में गाई जाती है। भगवान देवनारायण जी एक मात्र लोकदेवता है, जिनकी फड़ पर भारतीय डाक ने 2 सितंबर, 1992 और 3 सितंबर, 2011 को पांच रुपये का स्मारक डाक टिकिट जारी किया।