नन्द लाला ने बरसाने में खेली ऐसी होली रे,
मैं तो सांवरियां की हो ली रे,
तन मन चोला साडी चुनर भीग गई मेरी चोली रे,
मैं तो सांवरियां की हो ली रे ॥
गालन पे मेरे रंग लगा के,
तिरशे तिरशे नैन चला के,
कह गयो मीठी बोली रे,
मैं तो सांवरियां की हो ली रे ॥
जीवन के सब राज बदल कर सोते सोते भाग बदल गये,
किस्मत मेरी खोली रे,
मैं तो सांवरियां की हो ली रे ॥
बरसाने की नार नवेली क्या करती रह गई अकेली,
वो तो संग सखा की टोली रे,
मैं तो सांवरियां की हो ली रे ॥
गया नन्द मेरे मन वासियां ने,
होरी के या रंग रसियां ने मेरे दिल की कुण्डी खोली रे,
मैं तो यहाँ रसिया की हो ली रे ॥
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