जय राम राम रमनं समनं। भव ताप भयाकुल पाहि जनम॥ अवधेस सुरेस रमेस बिभो।...
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम, अपने मन की मैं जानूँ, और पी के मन की राम, अपने मन की मैं जानूँ और पी के मन की राम ॥
ऐसो रास रच्यो वृन्दावन, है रही पायल की झंकार ॥ घुंघरू खूब छमा छ्म बाजे, बजते बिछुवा बहुते बाजे..
पार करेंगे नैया भज कृष्ण कन्हैया, निस दिन भज गोपाल प्यारे, मोर मुकुट पीतांबर वारे । भगतो के रखवैया, भज कृष्ण कन्हैया ॥..
मेरा छोटा सा संसार, हरी आ जाओ एक बार, हरी आ जाओ, हरी आ जाओ, मेरी नैया पार लगा जाओ, मेरी बिगड़ी आ के बना जाओ ॥
मोहनी मुरति साँवरी सूरति, आइ बसौ इन नैनन में । अति सुन्दर रूप अनूप लिये..
ओ सांवरे हमको तेरा सहारा है, तेरी रहमतो से चलता, तेरी रहमतो से चलता मेरा गुजारा है..