मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना ।
तुझे मिल गया पुजारी,
मुझे मिल गया ठिकाना ॥
मुझे कौन जानता था,
तेरी बंदगी से पहले ।
तेरी याद ने बना दी,
मेरी ज़िन्दगी फ़साना ॥
मुझे इसका गम नहीं है,
की बदल गया ज़माना ।
मेरी ज़िन्दगी के मालिक,
कहीं तुम बदल न जाना ॥
यह सर वो सर नहीं है,
जिसे रख दूँ फिर उठा लूं ।
जब चढ़ गया चरण में,
आता नहीं उठाना ॥
तेरी सांवरी सी सुरत,
मेरे मन में बस गयी है ।
ऐ सांवरे सलोने,
अब और ना सताना ॥
दुनियां की खा के ठोकर,
मैं आया तेरे द्वारे ।
मेरे मुरली वाले मोहन,
अब और ना सताना ॥
मेरी आरजु यही है,
दम निकले तेरे दर पे ।
अभी सांस चल रही है,
कहीं तुम चले ना जाना ॥
आरती कुंजबिहारी की |
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श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं |
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ॐ जय जगदीश हरे |
मधुराष्टकम्: धरं मधुरं वदनं मधुरं |
कृष्ण भजन |
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं |
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