मोपे खूब गुलाल डारो
अपने ही रंग में, ढाल डारो,
नन्द बाबा को लाला ऐसो,
तिरछी नजरिया ते मार डारो
बाँह पकड़कर कै खींचे
ना छोड़े यशोदा दुलारो
रंग दियो है ऐसा,
जीवन मेरो संवार डारो
वृंदावन खेल रच्यो भारी ।
वृंदावन की गोरी नारी टूटी हार फटे सारी ॥
ब्रज की होरी ब्रज की गारी,
ब्रज की श्री राधा प्यारी ॥
‘पुरुषोत्तम’ प्रभु होरी खेले,
तन मन धन सरबस वारी ॥
मोहे होली पे रंग दो लाल, नंदलाल,
तेरे रंग में रंगने तरस रही ।
मोहे होली पे रंग दो लाल, नंदलाल,
तेरे रंग में रंगने तरस रही ।
मोरे अंग लगे, तेरो रंग लगे,
मेरे अंग लगे, तेरो रंग लगे,
टेसू और कुमकुम संग लगे,
और लगे अबीर गुलाल, गुलाल।
तेरे रंग में रंगने तरस रही ।
मोहे होली पे रंग दो लाल, नंदलाल,
तेरे रंग में रंगने तरस रही ।
मोहे होली पे रंग दो लाल, नंदलाल,
तेरे रंग में रंगने तरस रही ।.
मोरी बाँह पकर मुझे ले जाओ,
पिचकारी संग भिगा जाओ,
बरसा दो रंग की धार, हाँ धार।
तेरे रंग में रंगने तरस रही ।
मोहे होली पे रंग दो लाल, नंदलाल,
तेरे रंग में रंगने तरस रही ।
मोहे होली पे रंग दो लाल, नंदलाल,
तेरे रंग में रंगने तरस रही ।
ब्रज की गलियों में रंग उड़े,
प्यार से लठ मार देखो (ये) लड़ें
ब्रज की गलियों में रंग उड़े,
लठ मार मार देखो (ये) लड़ें
और बजे बसंत के राग, हाँ राग
तेरे रंग में रंगने तरस रही ।
मोहे होली पे रंग दो लाल, नंदलाल,
तेरे रंग में रंगने तरस रही ।
मोहे होली पे रंग दो लाल, नंदलाल,
तेरे रंग में रंगने तरस रही ।
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे