मटकी आप चटक गई होयगी
लालय देख मटक गई होयगी
मेरे लल्ला को दोष लगाइबे
बंसी पकड़ लटक गई होयगी
रोज सवेरे मेरा कन्हैया
गइया चराइवे जावे है
तू अलबेली नार नवेली
लालय जाए रिझाबे है
अरे पांव से पाओ अटक गई होयगी
यमुना की रेट रपट गई होयगी
मेरे लल्ला को दोष लगाए बे
बंसी पकड़ लटक गई होयगी
अरे धन माया की कमी नहीं है
तेरी अकल का टोटा है और
तुम तो हो रही ज्वान ढिंगरी
मेरा कन्हैया छोटा है
अरे माखन आप गटक गई होयगी
अरे कौर साफ सटक गई होयगी
मेरे लल्ला को दोष लगाए बे
बंसी पकड़ लटक गई होयगी
अरे बंसी सुननी तुम मोहन की
तुम मधुबन भी जाती हो
अरे दे दे कुल्चा लाल गाल करि
हंसती और हंसाती हो
बंसी की धुन पर मटक गई होयगी
लालय पकड़ मसक गई होयगी
मेरे लल्ला को दोस्त लगावे
बंसी पकड़ लटक गई होयगी
मटकी आप चटक गई होयगी
लालय देख मटक गई होएगी
मेरे लल्ला को दोष लगावे
बंसी पकड़ लटक गई होयगी
अगर आपको यह भजन पसंद है, तो कृपया
शेयर,
लाइक या
कॉमेंट जरूर करें!
भक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस भजन को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें

* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।
** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें।