जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है...
भरोसा कर तू ईश्वर पर, तुझे धोखा नहीं होगा । यह जीवन बीत जायेगा, तुझे रोना नहीं होगा ॥ कभी सुख है कभी दुख है...
ज्योत से ज्योत जगाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो, राह में आये जो दीन दुखी, सब को गले से लगते चलो...
तू प्यार का सागर है, तेरी एक बूँद के प्यासे हम। लौटा जो दिया तूने, चले जायेंगे जहां से हम..
तोरा मन दर्पण कहलाए, भले, बुरे, सारे कर्मों को, देखे और दिखाए ...
जो गणपति को ध्याये,परम सुखी हो जाए । जो शंकर को पूजे,विपदा पास न आए ॥
आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू..