शुभ शुभ दिन आया शुभ घड़ी
जय जगन्नाथ से गूंजा आसमान
उसे चारों धाम का पुण्य मिला
जो करके पूर्ण तेरी परिक्रमा
मन में मृदंग बजे
वैकुंठ में सांख बजे
मंदिर है झूम रहा
अंबार से खुयाँ बरसी
अंबर से खुशियाँ बरसी
मिला तभी पुण्य, हुए सभी धन्य
आकर तेरी शरणों में
जय जगन्नाथ
हमें रहना आपके चरणों में
जय जगन्नाथ
हमें रहना आपके चरणों में
परिक्रमा पथ पर जो भी चला
द्वार खुला हर द्वार खुला
जगन्नाथ जी की जिसपे कृपा
काल भी क्या कर लेगा भला
परिक्रमा पथ पर जो भी चला
द्वार खुला हर द्वार खुला
जगन्नाथ जी की जिसपे कृपा
काल भी क्या कर लेगा भला
बाँसुरी भी संग बजे
बैकुंठ में शंख बजे
मंदिर है झूम रहा
अंबर से खुशियाँ बरसी
ना आदि अंत जीवन अनंत पाए सब शरणों में
जय जगन्नाथ
हमें रहना आपके चरणों में
जय जगन्नाथ
हमें रहना आपके चरणों में
हे नाथ मेरे
जगत के स्वामी
आए हैं तेरे द्वारे
भाग्य उदय हो जग में जय हो
नाम जो तेरा पुकारे
खुदको जो अर्पण कर दे समर्पण
वरदान पा लिया
जन्मो जनम से तरसी थी अँखियाँ
तूने दर्शन दिया
जयकार तेरी जो गाता
और परिक्रमा है लगाता
जयकार तेरी जो गाता
और परिक्रमा है लगता
मिले तभी पुण्य हुए सभी धन्य
आकर तेरी शरणों में
जय जगन्नाथ
हमें रहना आपके चरणों में
जय जगन्नाथ
हमें रहना आपके चरणों में
जय जगन्नाथ
हमें रहना आपके चरणों में
जय जगन्नाथ
हमें रहना आपके चरणों में
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