उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है।..
भरोसा कर तू ईश्वर पर, तुझे धोखा नहीं होगा । यह जीवन बीत जायेगा, तुझे रोना नहीं होगा ॥ कभी सुख है कभी दुख है...
तोरा मन दर्पण कहलाए, भले, बुरे, सारे कर्मों को, देखे और दिखाए ...
ज्योत से ज्योत जगाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो, राह में आये जो दीन दुखी, सब को गले से लगते चलो...
तू प्यार का सागर है, तेरी एक बूँद के प्यासे हम। लौटा जो दिया तूने, चले जायेंगे जहां से हम..
मुखड़ा देख ले प्राणी, जरा दर्पण में हो, देख ले कितना, पुण्य है कितना, पाप तेरे जीवन में, देख ले दर्पण में..
जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है...