फंसी भंवर में थी मेरी नैया,
चलाई तूने तो चल पड़ी है ।
पड़ी जो सोई थी मेरी किस्मत,
पड़ी जो सोई थी मेरी किस्मत,
वो मौज करने निकल पड़ी है ॥
फंसी भंवर में थी मेरी नैया,
चलाई तूने तो चल पड़ी है।
भरोसा था मुझको मेरे बाबा,
यकीन था तेरी रहमतों पे ।
था बैठा चोखट पे तेरी कब से,
था बैठा चोखट पे तेरी कब से,
निगाहें निर्धन पे अब पड़ी है ॥
फंसी भंवर में थी मेरी नैया,
चलाई तूने तो चल पड़ी है ।
सजाऊँ तुझको निहारूँ तुझको,
पखारूँ चरणों को मैं श्याम तेरे ।
मैं नाचूँ बनकर के मोर बाबा,
मैं नाचूँ बनकर के मोर बाबा,
ये भावनाएं मचल पड़ी है ॥
फंसी भंवर में थी मेरी नैया,
चलाई तूने तो चल पड़ी है ।
हँसे या कुछ भी कहे जमाना,
जो रूठे तो कोई गम नही है ।
मगर जो रूठा तू बाबा मुझसे,
मगर जो रूठा तू बाबा मुझसे,
बहेगी अश्को की ये झड़ी है ॥
फंसी भंवर में थी मेरी नैया,
चलाई तूने तो चल पड़ी है ।
फंसी भंवर में थी मेरी नैया,
चलाई तूने तो चल पड़ी है ।
पड़ी जो सोई थी मेरी किस्मत,
पड़ी जो सोई थी मेरी किस्मत,
वो मौज करने निकल पड़ी है ॥
फंसी भंवर में थी मेरी नैया,
चलाई तूने तो चल पड़ी है ।