फागुन की रुत फिर से आई,
खाटू नगरी चालो,
श्याम निशान उठालो,
श्याम कुंड के पावन जल में,
चलके डुबकी लगालो,
श्याम निशान उठालो ॥
गाँव-गाँव और शहर-शहर से,
तेरी प्रेमी जाते,
लाखों-लाखों रंग-बिरंगे,
श्याम ध्वजा लहराते,
श्याम का जयकारा करते,
करते खाटू को चालो,
श्याम निशान उठालो ॥
श्याम हवेली तक रींगस से,
लंबी लगी कतारें,
फागुन मेला आया भक्तों,
बाबा हमे पुकारे,
लड्डू-मेवे और इत्र का,
भोग श्याम को चढालो,
श्याम निशान उठालो ॥
ये मौका बड़भागी उठावे,
खाटू नगरी जावे,
सांवरिये का दर्शन करके,
माल-खजाना पावे,
अब भी समय है टिकट करा लो,
भाग्य ‘कुणाल’ जगालो ॥
फागुन की रुत फिर से आई,
खाटू नगरी चालो,
श्याम निशान उठालो,
श्याम कुंड के पावन जल में,
चलके डुबकी लगालो,
श्याम निशान उठालो ॥
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