दातिये कर छावां,
अम्मीये तेरे द्वारे विच्चों,
जोतां दे लिशकारे विच्चों,
मेहराँ भरे भंडारे विच्चों,
मैं वी खुशियां पावां,
दातिये कर छावां,
तेरे प्यार दी ठंडड़ी छां,
दातिये कर छावां ॥
सोहणे दर दी हाज़री भरनी,
लगके रहणा तेरे चरनी,
शेरांवाली माँ तूं भोली,
भरदे साडी खाली झोली,
मैं उठ के ना जावां,
दातिये कर छांवां,
तेरे प्यार दी ठंडड़ी छां,
दातिये कर छांवां ॥
मंगते हां तेरे खैरां पा दे,
मावां बिन माये बचड़े काहदे,
आण के तेरी चौखट मल्ली,
कर देवें जे निगाह स्वल्ली,
सोखियां हो जाण राहवां,
दातिये कर छांवां,
तेरे प्यार दी ठंडड़ी छां,
दातिये कर छांवां ॥
‘राजू’ बैठा आसां लाई,
दुःख हरणी तू अम्बे माई,
खैरां पा दे झोली मेरे,
जे दर्शन माँ हो जाण तेरे,
चरणी नैन विछावां,
दातिये कर छांवां,
तेरे प्यार दी ठंडड़ी छां,
दातिये कर छांवां ॥
अम्मीये तेरे द्वारे विच्चों,
जोतां दे लिशकारे विच्चों,
मेहराँ भरे भंडारे विच्चों,
मैं वी खुशियां पावां,
दातिये कर छावां,
तेरे प्यार दी ठंडड़ी छां,
दातिये कर छावां ॥
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