बालाजी म्हारे आंगणिये पधारो,
थारे भक्ता ने दरश दिखाओ,
म्हारा सालासर धणी ॥
बालाजी थारे लाल लंगोटा सोहे,
थारे हाथ में घोटो सोहे,
म्हारा सालासर धणी ॥
चैत्र सुदी पूनम को मेलो भारी,
आवे है भगत अपार,
म्हारा सालासर धणी ॥
बालाजी थारी घर घर जोत जगावा,
थारी महिमा गाए सुनवा,
म्हारा सालासर धणी ॥
बालाजी थने घृत सिंदूर चढ़ावा,
कोई मंगल शनिवार,
म्हारा सालासर धणी ॥
‘अलबेला’ थारी महिमा गा सुनावे,
‘इलू’ चरणा में शीश झुकावे,
म्हारा सालासर धणी ॥
बालाजी म्हारे आंगणिये पधारो,
थारे भक्ता ने दरश दिखाओ,
म्हारा सालासर धणी ॥
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