बाज रहा डंका दुनिया में,
बजरंग बाला का,
अरे लहरें लाल पताका,
माँ अंजनी के लाला का,
बाज रहा डंका दुनियाँ में,
बजरंग बाला का ॥
लंका में घुसकर डंका,
रघुवर का खूब बजाया था,
एक से एक ताक़तवर,
राक्षस को भी धुल चटाया था,
इस राम दूत से पड़ा था जो,
इन सबका पाला था,
अरे लहरें लाल पताका,
माँ अंजनी के लाला का,
बाज रहा डंका दुनियाँ में,
बजरंग बाला का ॥
तेरी शरण जो आया तूने,
उसको संभाला बजरंगी,
तुझसे घबराकर के भागे,
दुःख की छाया और तंगी,
तुमने अपने भक्तों का,
हल झट से निकाला था,
अरे लहरें लाल पताका,
माँ अंजनी के लाला का,
बाज रहा डंका दुनियाँ में,
बजरंग बाला का ॥
त्रेता द्वापर और इस कलयुग का,
इकलौता तू रक्षक,
‘कुंदन’ के परिवार का पालक,
और तू ही है संरक्षक,
है सबकी ज़ुबाँ पे चर्चा,
इस रघुवर मतवाला का,
अरे लहरें लाल पताका,
माँ अंजनी के लाला का,
बाज रहा डंका दुनियाँ में,
बजरंग बाला का ॥
बाज रहा डंका दुनिया में,
बजरंग बाला का,
अरे लहरें लाल पताका,
माँ अंजनी के लाला का,
बाज रहा डंका दुनियाँ में,
बजरंग बाला का ॥
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