सुरसुरी जी के पतिव्रता धर्म की रक्षा - सत्य कथा (Sursuri Ji Ke Pativrata Dharm ki Raksha)


भक्तमाल कथा: श्री राम ने की सुरसुरी जी के पतिव्रता धर्म की रक्षा
सुरसुरी जी के अनुपम सौन्दर्य को देखकर कुछ दुष्ट विचार वाले लोगों का मन दूषित हो गया और काम से पीड़ित होकर सुरसुरी जी के सतीत्व को नष्ट करने की ताक में रहने लगे। एक दिन जब इनके पति सुरसुरानंद जी वन में फूल और लकड़ियां लेने गए तो दुष्टों को अच्छा मौका मिल गया।
यह सीधे सुरसुरी जी के सामने कुटिया में पहुंच गए। दुष्टों ने अपनी बातों से सुरसुरी जी को बहलाने का प्रयास किया लेकिन, इनकी मनोभावना समझकर सुरसुरी जी ने भगवान राम का स्मरण करना शुरु कर दिया।

इतने में चमत्कार हुआ कि दुष्टों को सुरसुरी जी जगह आंख लाल किए हुए सिंहनी नजर आने लगी। दुष्ट जान बचाकर भाग खड़े हुए। और सती का सतीत्व कायम रहा।
Prerak-kahani Bhaktimal Prerak-kahaniSursuri Ji Prerak-kahaniSatya Katha Prerak-kahani
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

सुरसुरी जी के पतिव्रता धर्म की रक्षा - सत्य कथा

सुरसुरी जी के अनुपम सौन्दर्य को देखकर कुछ दुष्ट विचार वाले लोगों का मन दूषित हो गया और काम से पीड़ित होकर सुरसुरी जी के सतीत्व को नष्ट करने की ताक में रहने लगे।

यज्ञ की सच्ची पूर्ण आहुति - प्रेरक कहानी

एक बार युधिष्ठिर ने विधि-विधान से महायज्ञ का आयोजन किया। उसमें दूर-दूर से राजा-महाराजा और विद्वान आए।...

युधिष्ठर ने ही समझ, सत्यम वद का सही मतलब - प्रेरक कहानी

यह उस समय की बात है जब कौरव पांडव गुरु द्रोणाचार्य के आश्रम में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। एक दिन गुरु द्रोण ने अपने सभी शिष्यों को एक सबक दिया - सत्यम वद मतलब सत्य बोलो।

परमात्मा! जीवन यात्रा के दौरान हमारे साथ हैं - प्रेरक कहानी

प्रतिवर्ष माता पिता अपने पुत्र को गर्मी की छुट्टियों में उसके दादा-दादी के घर ले जाते । 10-20 दिन सब वहीं रहते और फिर लौट आते।..

हे श्री कृष्ण! तुम सर्वज्ञ हो - प्रेरक कहानी

एक वृद्ध महिला एक सब्जी की दुकान पर जाती है, उसके पास सब्जी खरीदने के पैसे नहीं होते है।..