कर्म-योग क्या है? - प्रेरक कहानी (Karm Yog Kiya Hai)


एक बार एक सात वर्ष का बालक रमन महर्षि के पास आया! उन्हे प्रणाम कर उसने अपनी जिज्ञासा उनके समक्ष रखी! वह बोला- क्या आप मुझे बता सकते है कि कर्म-योग क्या है? क्योंकि जब कभी भी मै यह प्रश्न अपने माता-पिता से पूछता हूँ, तो वे कहते है कि अभी तुम्हे इस विषय मे सोचने की आवश्यकता नही है! जब तुम बडे हो जाओगे, तो तुम्हे अपना आप समझ आ जाएगी!बालक की बात सुनकर ऋषि बोले- मै तुम्हे इस प्रश्न का उतर दूँगा! पर अभी तुम यहाँ मेरे पास शांतिपूर्वक बैठ जाओ!' बालक उनकी आज्ञा का पालन कर उनके पास जाकर बैठ गया!

कुछ समय बाद, वहाँ एक व्यक्ति डोसे लेकर आया! उसने सभी डोसे रमन महर्षि के समक्ष रख दिए! किंतु महर्षि किसी भी वस्तु को अकेले ग्रहण नही करते थे! इसलिए महात्मा रमन ने डोसे का एक छोटा सा टुकडा अपने आगे रखा! फिर साथ बैठे उस बालक के पतल मे एक पूरा डोसा परोस दिया! उसके बाद वहाँ उपस्थित अन्य अनुयायियो मे शेष डोसे बाँटने का आदेश दिया! फिर उन्होने पास बैठे बालक से कहा- अब जब तक मै अँगुली उठाकर इशारा नही करता, तब तक तुम यह डोसा खाते रहोगे! हाँ..ध्यान रहे कि, मेरे इस संकेत से पहले तुम्हारा डोसा खत्म नही होना चाहिए! पर जैसे ही मै अँगुली उठाकर संकेत दूँ, तो पतल पर डोसे का एक भाग भी शेष नही रहना चाहिए! उसी क्षण डोसा खत्म हो जाना चाहिए!'

महर्षि के इन वचनो को सुनते ही बालक ने पूरी एकाग्रता से रमन मह-ऋषि पर दृष्टि टिका दी! उसका मुख बेशक ही डोसे के निवाले चबा रहा था, किंतु उसकी नजरे एकटक महात्मा रमन पर केन्द्रित थी! बालक ने शुरूआत मे बडे-बडे निवाले खाए! पर बाद मे, अधिक डोसा न बचने पर, उसने छोटे-छोटे निवाले खाने शुरू कर दिए! तभी अचानक उसे अपेक्षित संकेत मिला! इशारा मिलते ही बालक ने बचा हुआ डोसा एक ही निवाले मे मुख मे डाल दिया और निर्देशानुसार पत्तल पर कुछ शेष न रहा!

बच्चे की इस प्रतिक्रिया को देखकर महर्षि बोले- अभी-अभी जो तुमने किया, वही वास्तविक मे कर्म-योग है!

महर्षि ने आगे समझाते हुए कहा- देखो! जब तुम डोसा खा रहे थे, तब तुम्हारा ध्यान केवल मुझ पर था! डोसे के निवाले मुख मे डालते हुए भी तुम हर क्षण मुझे ही देख रहे थे! ठीक इसी प्रकार संसार के सभी कार्य-व्यवहार करते हुए भी अपने मन-मस्तिष्क को ईश्वर पर केन्द्रित रखना! मतलब कि ईश्वर मे स्थित होकर अपने सभी कर्तव्यो को पूर्ण करना! यही वास्तविक कर्म-योग है ।
Prerak-kahani Karm Prerak-kahaniKarm Yog Prerak-kahaniRishi Prerak-kahaniBalak Prerak-kahaniBoy Prerak-kahaniRaman Rishi Prerak-kahani
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

वृन्दावन की चीटियाँ - प्रेरक कहानी

एक सच्ची घटना सुनिए एक संत की, वे एक बार वृन्दावन गए वहाँ कुछ दिन घूमे फिरे दर्शन किए जब वापस लौटने का मन किया...

गाय माता! और दिव्य मिठास वाला गुड़

कुछ ही देर में गाय अधिकांश गुड़ खाकर चली गई,इसके बाद जो हुआ वो वो वाक्या हैं जिसे मैं ज़िन्दगी भर नहीं भुला सकता...

सच्चा साधु कौन है - प्रेरक कहानी

एक साधु को एक नाविक रोज इस पार से उस पार ले जाता था, बदले मैं कुछ नहीं लेता था, वैसे भी साधु के पास पैसा कहां होता था। नाविक सरल था, पढा लिखा तो नहीं, पर समझ की कमी नहीं थी।

कर्म-योग क्या है? - प्रेरक कहानी

एक बार एक बालक रमन महर्षि के पास आया! उन्हे प्रणाम कर उसने अपनी जिज्ञासा उनके समक्ष रखी! वह बोला- क्या आप मुझे बता सकते है कि कर्म-योग क्या है?...

जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है - प्रेरक कहानी

एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है, भगवान: आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे, एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बनकर खड़ा हो जाता हूँ, आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ।