एक राजा बहुत दिनों बाद अपने बगीचे में सैर करने गया, पर वहां पहुँच उसने देखा कि सारे पेड़-पौधे मुरझाए हुए हैं। राजा बहुत चिंतित हुआ, उसने इसकी वजह जानने के लिए सभी पेड़-पौधों से एक-एक करके सवाल पूछने लगा।
पेड़ों की समस्या !
ओक वृक्ष ने कहा- वह मर रहा है क्योंकि वह देवदार जितना लंबा नहीं है। राजा ने देवदार की और देखा तो उसके भी कंधे झुके हुए थे क्योंकि वह अंगूर लता की भांति फल पैदा नहीं कर सकता था। अंगूर लता इसलिए मरी जा रही थी कि वह गुलाब की तरह खिल नहीं पाती थी।
राजा थोड़ा आगे गया तो उसे एक पेड़ नजर आया जो निश्चिंत था, खिला हुआ था और ताजगी में नहाया हुआ था।
राजा ने उससे पूछा- बड़ी अजीब बात है, मैं पूरे बाग़ में घूम चुका लेकिन एक से बढ़कर एक ताकतवर और बड़े पेड़ दुखी हुई बैठे हैं लेकिन तुम इतने प्रसन्न नज़र आ रहे हो, ऐसा कैसे संभव है ?
पेड़ बोला- महाराज, बाकी पेड़ अपनी विशेषता देखने की बजाय स्वयं की दूसरों से तुलना कर दुखी हैं, जबकि मैंने यह मान लिया है कि जब आपने मुझे रोपित कराया होगा तो आप यही चाहते थे कि
मैं अपने गुणों से इस बागीचे को सुन्दर बनाऊं, यदि आप इस स्थान पर ओक, अंगूर या गुलाब चाहते तो उन्हें लगवाते! इसीलिए मैं किसी और की तरह बनने की बजाय अपनी क्षमता के अनुसार श्रेष्ठतम बनने का प्रयास करता हूँ और प्रसन्न रहता हूँ।
हम अक्सर दूसरों से अपनी तुलना कर स्वयं को कम आंकने की गलती कर बैठते हैं। दूसरों की विशेषताओं से प्रेरित होने की बजाय हम अफ़सोस करने लगते हैं कि हम उन जैसे क्यों नहीं हैं।
भगवान ने सब को अलग-अलग बनाया है, सूर्य का काम अलग है, चन्द्रमा का अलग और पेड़-पौधों का अलग। श्रष्टि मे सभी का कार्य निर्धारित है, न किसी का काम छोटा है और न किसी का बड़ा, सभी का कार्य उसकी जगह उपयुक्त ही है। अतः
दूसरों अच्छे कार्य से प्रेरणा लीजिये, परन्तु उसका अंध-अनुसरण ना कीजिये।
सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।
जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।