एक शिक्षक था, जवान लडको को पेंड़ो पर चढना सिखाता था। एक लडके को सिखा रहा था। वहां एक राजकुमार सीखने के लिए आया हुआ था। राजकुमार ऊपर की चोंटी तक चढ गया था, वृक्ष की ऊपर की शाखाओं तक।
फिर उतर रहा था, वह बूढा (teacher) चुपचाप पेड़ के नीचे बैठा हुआ देख रहा था। कोई दस फ़ीट नीचे रह गया होगा वह लड़का, तब वह बूढा खडा हुआ और चिल्लाया, सावधान! बेटे सावधान होकर उतरना, होश से उतरना!
वह लड़का बहुत चकित हुआ। उसने सोचा, या तो यह बूढा पागल है। जब मैं सौ फीट ऊपर था और जहां से गिरता तो मेरे बचने का कोई chance नहीं था।
जब मैं बिल्कुल ऊपर की चोटी पर था, तब तो यह कुछ नहीं बोला, चुपचाप आंख बंद किए, पेड़ के नीचे बैठा रहा! और अब! अब जबकि मैं नीचे ही पहुंच गया हूं, अब कोई खतरा नहीं है तो पागल चिल्ला रहा है, सावधान! सावधान!
नीचे उतरकर उसने कहा कि मैं हैरान हूं! जब मैं ऊपर था, तब तो आपने कुछ भी नहीं कहा- जब डेंजर था, खतरा था? और जब मैं नीचे आ गया, जहां कोई खतरा न था, उस बूढें ने कहा, मेरे जिंदगी का अनुभव यह हैं कि जहां कोई खतरा नहीं होता, वहीँ आदमी सो जाता है।
और सोते ही खतरा शुरू हो जाता है। ऊपर कोई खतरा न था.. क्योंकि खतरा था और उसकी वजह से तुम जागे हुए थे, सचेत थे, तुम गिर नहीं सकते थे। मैंने आज तक ऊपर की चोटी से किसी को गिरते नहीं देखा... कितने लोगो को मैं सिखा चुका।
जब भी कोई गिरता हैं तो दस-पंद्रह फीट नीचे उतरने में या चढने में गिरता है। क्योकि वहां वह निश्चिन्त हो जाता है। निश्चिन्त होते ही सो जाता है। सोते ही खतरा मौजुद हो जाता है। जहां खतरा मौंजूद है, वहां खतरा मौंजूद नहीं होता, क्योंकि वह conscious होता है। जहां खतरा नही है, वहां खतरा मौंजूद हो जाता है, क्योंकि वह सो जाता है। इंसान सभी पक्षियों से ज्यादा सो गया है।
क्योंकि जीवन में उसने सभी पक्षियों-पशुओ से ज्यादा Security सुविधा जुटा ली है। कोई पशु-पक्षी इतना sleeping हुआ नहीं, जितना आदमी। देखें, किसी कौए को आपके घर के पास बैठा हुआ। जरा आप आंख भी हिलाएं और कौआ अपने पर फैला देगा। आंख हिलाएं! आप जरा हाथ हिलाएं और कौआ तैयार है, सचेत है। जानवरों को भागते हुए देखें, दौडते हुए देखें, उनको खडे हुए देखें.. वे सचेत है।
आदमी ने एक तरह की security, एक तरह की सुरक्षा अपने चारों तरफ खडी कर ली है। और उस सुरक्षा की वजह से वह आराम से सो गया है। और सचाई यह हैं कि सब security झुठी है। क्योंकि मौत इतनी बडी असलियत हैं कि हमारी सब सुरक्षा झूठी ही सिद्ध होती है। कोई सुरक्षा हमारी सच्ची नहीं है। लेकिन a False, एक मिथ्या खयाल हमने पैदा कर लिया है कि हम सुरक्षित है। सुरक्षित कोई भी मनुष्य नहीं है। जीवन असुरक्षा है, insecurity है।