साक्षात् भगवान् श्रीराम के दर्शन करने का उपाय:
एक ब्राह्मण दिनभर गोस्वामी जी के कुटिया के बहार बैठकर लोभवश राम-राम रटता। संध्या के समय श्रीहनुमान जी उसे धन दे देते थे। एक वार उसने भगवान के दर्शन के लिये बड़ा हठ किया।
गोस्वामी जी ने कहा:
उसके लिए प्रेम और भाव चाहिए, संत की कृपा चाहिए। ऐसे ही एकदम भगवान नहीं मिलते। उसने कहा: आप समर्थ महापुरुष है, आप भगवान् के दर्शन करवा सकते है। वह हठ पर अड़ गया।
गोस्वामी जी ने कहा: ठीक है यहाँ सामने इस पेड़ पर चढ़ जाओ, पेड़ के नीचे त्रिशूल गाढ़ दो और उस त्रिशूल पर कूद पडो। भगवान् के दर्शनं हो जायेंगे।
वह त्रिशूल गाडकर वृक्षपर चढ़ा, परंतु कूदने की हिम्मत नहीं हुई।
एक घुडसवार उधर से जा रहा था, उसने पूछा: पेड़ पर क्या कर रहे हो?
ब्राह्मण बोला: तुलसीदास जी ने कहा है पेड़ पर से त्रिशूल पर कूदो तुम्हे भगवान् श्रीराम के दर्शन होंगे।
उस व्यक्ति ने कहा: क्या सच में यह बात तुलसीदास जी के श्रीमुख से निकली है?
ब्राह्मण बोला: जी हाँ !
वह व्यक्ति तुरंत पेड़ पर चढ़कर त्रिशूलपर कूद पडा।
उसे भगवान ने आकर हाथ से पकड़ लिया और उसे श्रीराम के दर्शन प्राप्त हो गये। हनुमान जी ने उसे तत्त्वज्ञान का उपदेश भी दिया।
गोस्वामी जी ने सत्य ही कहा था, जिनमें प्रेम-भाव हो एवं संत की कृपा हो वही भगवान के दर्शन पाता है।