एक गाँव में माँ-बेटी रहती थीं। एक दिन वह अपनी माँ से कहने लगी कि गाँव के सब लोग गणेश मेला देखने जा रहे हैं, मैं भी मेला देखने जाऊँगी। माँ ने कहा कि वहाँ बहुत भीड़ होगी कहीं गिर जाओगी तो चोट लगेगी। लड़की ने माँ की बात नहीं सुनी और मेला देखने चल पड़ी।
माँ ने जाने से पहले बेटी को दो लड्डू दिए और एक घण्टी में पानी दिया। माँ ने कहा कि
एक लड्डू तो गणेश जी को खिला देना और थोड़ा पानी पिला देना।
दूसरा लड्डू तुम खा लेना और बचा पानी भी पी लेना। लड़की मेले में चली गई। मेला खत्म होने पर सभी गाँववाले वापिस आ गए लेकिन लड़की वापिस नहीं आई।
लड़की मेले में गणेश जी के पास बैठ गई और कहने लगी कि एक लड्डू और पानी गणेश जी तुम्हारे लिए और एक लड्डू और बाकी बचा पानी मेरे लिए। इस तरह कहते-कहते सारी रात बीत गई।
गणेश जी यह देखकर सोचने लगे कि अगर मैने यह एक लड्डू और पानी नहीं पीया तो यह अपने घर नहीं जाएगी। यह सोचकर गणेश जी एक लड़के के वेश में आए और उससे एक लड्डू लेकर खा लिया और साथ ही थोड़ा पानी भी पी लिया फिर वह कहने लगे कि माँगो तुम क्या माँगती हो?
लड़की मन में सोचने लगी कि क्या माँगू? अन्न माँगू या धन माँगू या अपने लिए अच्छा वर माँगू या खेत माँगू या महल माँगू! वह मन में सोच रही थी तो गणेश जी उसके मन की बात को जान गए। वह लड़की से बोले कि
तुम अपने घर जाओ और तुमने जो भी मन में सोचा है वह सब तुम्हें मिलेगा।
लड़की घर पहुँची तो माँ ने पूछा कि इतनी देर कैसे हो गई? बेटी ने कहा कि आपने जैसा कहा था मैंने वैसा ही किया है और देखते ही देखते जो भी लड़की ने सोचा था वह सब कुछ हो गया।
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