चाँदी के पात्र का सही मूल्य क्या? - प्रेरक कहानी (Chandi Ke Patra Ka Sahi Mulya Kya)


बहुत समय पहले की बात है। किसी गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। उसके दो बेटे थे। बूढ़ा वस्तुओं के उपयोग के मामले में कंजूस था और उन्हें बचा-बचा कर उपयोग किया करता था।
उसके पास एक पुराना चांदी का पात्र था। वह उसकी सबसे मूल्यवान वस्तु थी। उसने उसे संभालकर संदूक में बंद कर रखता था। उसने सोच रखा था कि सही अवसर आने पर ही उसका उपयोग करेगा।

एक दिन उसके यहाँ एक संत आये। जब उन्हें भोजन परोसा जाने लगा, तो एक क्षण को बूढ़े व्यक्ति के मन में विचार आया कि क्यों न संत को चांदी के पात्र में भोजन परोसूं? किंतु अगले ही क्षण उसने सोचा कि मेरा चांदी का पात्र बहुत कीमती है। गाँव-गाँव भटकने वाले इस संत के लिए उसे क्या निकालना? जब कोई राजसी व्यक्ति मेरे घर पधारेगा, तब यह पात्र निकालूंगा। यह सोचकर उसने पात्र नहीं निकाला।

कुछ दिनों बाद उसके घर राजा का मंत्री भोजन करने आया। उस समय भी बूढ़े व्यक्ति ने सोचा कि चांदी का पात्र निकाल लूं। किंतु फिर उसे लगा कि ये तो राजा का मंत्री है। जब राजा स्वयं मेरे घर भोजन करने पधारेंगे, तब अपना कीमती पात्र निकालूंगा।

कुछ दिनों के बाद स्वयं राजा उसके घर भोजन के लिए पधारे। राजा उसी समय पड़ोसी राज्य से युद्ध हार गए थे और उनके राज्य के कुछ हिस्से पर पड़ोसी राजा ने कब्जा कर लिया था। भोजन परोसते समय बूढ़े व्यक्ति ने सोचा कि अभी-अभी हुई पराजय से राजा का गौरव कम हो गया है। मेरे पात्र में किसी गौरवशाली व्यक्ति को ही भोजन करना चाहिए। इसलिए उसने चांदी का पात्र नहीं निकाला।

इस तरह उसका पात्र बिना उपयोग के पड़ा रहा। एक दिन बूढ़े व्यक्ति की मृत्यु हो गई।

उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटे ने उसका संदूक खोला। उसमें उसे काला पड़ चुका चांदी का पात्र मिला। उसने वह पात्र अपनी पत्नी को दिखाया और पूछा- इसका क्या करें?

पत्नी ने काले पड़ चुके पात्र को देखा और मुँह बनाते हुए बोली- अरे इसका क्या करना है। कितना गंदा पात्र है। इसे कुत्ते को भोजन देने के लिए निकाल लो

उस दिन के बाद से घर का पालतू कुत्ता उस चांदी के पात्र में भोजन करने लगा। जिस पात्र को बूढ़े व्यक्ति ने जीवन भर किसी विशेष व्यक्ति के लिए संभालकर रखा, अंततः उसकी ये गत हुई।

किसी वस्तु का मूल्य तभी है, जब वह उपयोग में लाई जा सके। बिना उपयोग के बेकार पड़ी कीमती वस्तुओं का भी कोई मूल्य नहीं।
Prerak-kahani Sethji Prerak-kahaniChandi Ke Bartan Prerak-kahaniChandi Ke Patra Prerak-kahani
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

चाँदी के पात्र का सही मूल्य क्या? - प्रेरक कहानी

बहुत समय पहले की बात है। किसी गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। उसके दो बेटे थे..

मन को कभी भी निराश न होने दें - प्रेरक कहानी

मन को कभी भी निराश न होने दें, बड़ी से बड़ी हानि में भी प्रसन्न रहें। मन उदास हो गया तो आपके कार्य करने की गति धीमी हो जाएगी। इसलिए मन को हमेशा प्रसन्न रखने का प्रयास।

सुरसुरी जी के पतिव्रता धर्म की रक्षा - सत्य कथा

सुरसुरी जी के अनुपम सौन्दर्य को देखकर कुछ दुष्ट विचार वाले लोगों का मन दूषित हो गया और काम से पीड़ित होकर सुरसुरी जी के सतीत्व को नष्ट करने की ताक में रहने लगे।

यज्ञ की सच्ची पूर्ण आहुति - प्रेरक कहानी

एक बार युधिष्ठिर ने विधि-विधान से महायज्ञ का आयोजन किया। उसमें दूर-दूर से राजा-महाराजा और विद्वान आए।...

युधिष्ठर ने ही समझ, सत्यम वद का सही मतलब - प्रेरक कहानी

यह उस समय की बात है जब कौरव पांडव गुरु द्रोणाचार्य के आश्रम में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। एक दिन गुरु द्रोण ने अपने सभी शिष्यों को एक सबक दिया - सत्यम वद मतलब सत्य बोलो।