कुंदन काका एक फैक्ट्री में पेड़ काटने का काम करते थे. फैक्ट्री मालिक उनके काम से बहुत खुश रहा करता था और हर एक नए मजदूर को उनकी तरह कुल्हाड़ी चलाने को कहता। यही कारण था कि अधिकतर मजदूर उनसे जलते थे।
एक दिन जब मालिक काका के काम की तारीफ कर रहे थे तभी एक नौजवान युवक मजदूर सामने आया और बोला-
मालिक! आप हमेशा इन्ही काका की तारीफ़ करते हैं, जबकि मेहनत तो हम सब करते हैं। बल्कि काका तो बीच-बीच में आराम भी करने चले जाते हैं, लेकिन हम लोग तो लगातार कड़ी मेहनत करके पेड़ काटते रहते हैं।
इस पर मालिक बोले- भाई! मुझे इससे मतलब नहीं है कि कौन कितना आराम करता है, कितना काम करता है, मुझे तो बस इससे मतलब है। दिन के अंत में किसने सबसे अधिक पेड़ कटे और इस मामले में काका आप सबसे 2-3 पेड़ आगे ही रहते हैं। जबकि उनकि उम्र भी काफी हो चली है।
मजदूर को ये बात अच्छी नहीं लगी।
वह बोला- मलिक अगर ऐसा ही है तो
क्यों न कल पेड़ काटने की प्रतियोगिता हो जाए। कल दिन भर में जो सबसे अधिक पेड़ काटेगा वही विजेता बनेगा।
मालिक तैयार हो गए।
अगले दिन प्रतियोगिता शुरू हुई। मजदूर बाकी दिनों की तुलना में इस दिन अधिक जोश में थे और जल्दी-जल्दी हाथ चला रहे थे। और पेड़ काटे जा रहे थे।
लेकिन कुंदन काका को तो मानो कोई जल्दी न हो। वे रोज की तरह आज भी पेड़ काटने में जुट गए। सबने देखा कि शुरू के आधा दिन बीतने तक काका ने 4-5 ही पेड़ काटे थे जबकि और लोग 6-7 पेड़ काट चुके थे। लगा कि आज काका हार जायेंगे। ऊपर से रोज की तरह वे अपने समय पर एक कमरे में चले गए जहाँ वो रोज आराम करने जाया करते थे।
सबने सोचा कि
आज काका प्रतियोगिता हार जायेंगे। बाकी मजदूर पेड़ काटते रहे, काका कुछ देर बाद अपने कंधे पर कुल्हाड़ी टाँगे लौटे और वापस अपने काम में जुट गए। तय समय पर प्रतियोगिता ख़त्म हुई। अब मालिक ने पेड़ों की गिनती शुरू की।
बाकी मजदूर तो कुछ ख़ास नहीं कर पाए थे लेकिन जब मालिक ने उस नौजवान मजदूर के पेड़ों की गिनती शुरू की तो सब बड़े ध्यान से सुनने लगे।
1, 2, 3, 4 ... 9, 10 और ये 11!
सब ताली बजाने लगे क्योंकि बाकी मजदूरों में से कोई 10 पेड़ भी नहीं काट पाया था।
अब बस काका के काटे पेड़ों की गिनती होनी बाकी थी। मालिक ने गिनती शुरू की
1, 2, 3, 4 ... 9, 10 और ये 11 और आखिरी में ये
बारहवां पेड़, मालिक ने ख़ुशी से ऐलान किया।
कुंदन काका की कुल्हाड़ी:
कुंदन काका प्रतियोगिता जीत चुके थे। उन्हें
1000 रुपये इनाम में दिए गए। तभी उस हारे हुए मजदूर ने पूछा-
काका, मैं अपनी हार मानता हूँ। लेकिन कृपया ये तो बताइये कि आपकी शारीरिक ताकत भी कम है और ऊपर से आप काम के बीच आधे घंटे विश्राम भी करते हैं, फिर भी आप सबसे अधिक पेड़ कैसे काट लेते हैं?
इस पर काका बोले- बेटा बड़ा सीधा सा कारण है इसका, जब मैं आधे दिन काम करके आधे घंटे विश्राम करने जाता हूँ तो उस दौरान मैं अपनी
कुल्हाड़ी की धार तेज कर लेता हूँ, जिससे बाकी समय में मैं कम मेहनत के साथ तुम लोगों से अधिक पेड़ काट पाता हूँ।
सभी मजदूर आश्चर्य में थे कि सिर्फ थोड़ी देर धार तेज करने से कितना फर्क पड़ जाता है।
इसी प्रकार जब भी आराम का समय मिले बेफिक्रे ना बन जाएँ बल्कि उस समय को प्रभु स्मरण में लगाए, जिससे कठिन समय मे भी आप उतने ही सार्थक बने रहें।