तूफान ने उज्जैन के महाकाल लोक की तस्वीर बदल दी। अरबों खर्च कर बने महाकाल कॉरिडोर की मूर्तियां हवा के झोंके से उड़ गईं। 45 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा की गति को नहीं झेल सकी मूर्तियां!
मध्य प्रदेश के उज्जैन में 28 मई को ऐसा तूफान आया कि '
श्री महाकाल लोक' कॉरिडोर (उज्जैन महाकाल) में बनी सात ऋषियों की छह मूर्तियां गिर गईं। तीन मूर्तियां भी गिरकर टूट गईं। हालांकि, इस नुकसान की बड़ी वजह तूफान नहीं, बल्कि इन मूर्तियों का घटिया निर्माण था। अब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में विशेषज्ञों के हवाले से इन मूर्तियों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं।
मूर्तियों के 'अंदर' का सच
रिपोर्ट के मुताबिक, खंडित मूर्तियां अंदर से खोखली थीं।
ऐसा कहा जाता था कि मूर्तियों का आधार बहुत कमजोर था। इनके नीचे काफी जगह छोड़ दी जाती थी ताकि हवा और पानी मूर्ति के अंदर आसानी से जा सके। 10 से 25 फीट ऊंची ये मूर्तियां फाइबर रीइन्फोर्स प्लास्टिक (एफआरपी) से बनी हैं। ऐसी मूर्ति को शक्ति देने के लिए अंदर सलाखें लगानी पड़ती हैं, लेकिन मूर्तियां खोखली थीं।
कुछ अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह जानकारी भी सामने आई है कि मूर्तियों की संरचना ऐसी नहीं थी कि वे 30 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवा को झेल सकें। भोपाल मौसम विभाग के अनुसार 28 मई को उज्जैन में 45 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी। मूर्तियाँ हवा के दबाव को सहन नहीं कर सकीं।
इस मामले में मध्य प्रदेश की लोकायुक्त संस्था ने कार्रवाई शुरू कर दी है। भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद लोकायुक्त संगठन ने उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर व स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अध्यक्ष आशीष सिंह, स्मार्ट सिटी के तत्कालीन निदेशक क्षितिज सिंघल व तत्कालीन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता को नोटिस भेजा है।
इन सभी से 15 दिन के अंदर जवाब मांगा गया है।