काशी में संत रविदास के मंदिर में भव्य अंदाज में रविदास जयंती मनाने की तैयारी की गई है। संत रविदास के मंदिर को स्वर्णिम बनाने का संकल्प अब पूर्णता की ओर बढ़ रहा है।
बनारस के दूसरे स्वर्ण मंदिर के नाम से मशहूर संत रविदास के मंदिर की चौखट से लेकर शिखर तक सोने की आभा दिखाई देती है।रविदास मंदिर की चौखट, दरवाजे, सुनहरे शिखर के साथ-साथ संत की पालकी और दीपक भी सोने से बने हैं। रविदास मंदिर में उनकी प्रतिमा के सामने जलने वाला दीपक सोने का बना हुआ है। इसमें एक अखंड दीपक जलता है और इस दीपक की कीमत करोड़ों में है। भक्तों ने अपने दान से गुरु की जन्मस्थली पर भव्य मंदिर बनवाया और उसे सोने से भी सजाया जा रहा है। मंदिर के गर्भगृह के प्रवेश द्वार को पिछले साल ही सोना चढ़ाया गया था। चौखट और दरवाजे पर सोने की परत चढ़ाई गई है।
संत रविदास मंदिर में 130 किलो सोने की पालकी रखी हुई है। पालकी का निर्माण यूरोप के शिष्यों द्वारा किया गया था। इस पालकी को वर्ष में एक बार जन्मोत्सव पर मंदिर तक ले जाया जाता है।* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।
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