रामलला के भव्य मंदिर में उनका पूजन और राग भोग लगातार मजबूत हो रहा है। गर्मी के मौसम को देखते हुए इनके प्रसाद में भी बदलाव किया गया है। गर्मियों में मधुपर्क को शामिल कर लिया गया है। मधुपर्क शुभता और मधुरता का प्रतीक है।
पहली बार भगवान को मधुपर्क (शहद, दही, घी और जल का मिश्रण) अर्पित किया जा रहा है। यह विशेष पेय प्रतिदिन पांच बार सोने के कटोरे में देवता को चढ़ाया जा रहा है।
❀ सुबह मंगला आरती के बाद जब भगवान को बालभोग लगाया जाता है तो सबसे पहले मधुपर्क अर्पित किया जा रहा है।
❀ श्रृंगार आरती से पहले मधुपर्क, रबड़ी और मिठाई का भोग लगाया जा रहा है।
❀ इसके बाद सुबह नौ बजे उन्हें मधुपर्क के साथ-साथ दलिया, हलवा, खीर आदि पकवान बाल भोग के रूप में चढ़ाए जाते हैं।
❀ दोपहर 12 बजे की आरती से पहले मधुपर्क के बाद दाल, रोटी, चावल, दही, दो तरह की सब्जियां और तसमई का भोग लगाया जा रहा है।
❀ शाम की आरती में मधुपर्क, लड्डू, फल, सूखे मेवे का भोग लगाया जाता है और शयन आरती से पहले उन्हें पूड़ी, सब्जी और तसमई का भोग लगाया जा रहा है।