देश में मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच ज्ञानवापी मस्जिद मामले ने दो चेहरों को सुर्खियों में ला दिया है। ये नाम हैं- हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन। पिता-पुत्र और उनकी जोड़ी का मुख्य लक्ष्य हिंदू राष्ट्र है। ये दोनों अब तक बाबरी मस्जिद (अयोध्या), ज्ञानवापी मस्जिद (वाराणसी), ताज महल (आगरा) और कुतुब मीनार सहित 102 केस लड़ चुके हैं।
प्रयागराज के मूल निवासी हरि शंकर जैन ने 1978-79 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ से वकालत शुरू की। बाद में सुप्रीम कोर्ट चले गये, अब तक वह 100 से ज्यादा केस लड़ चुके हैं। हरि शंकर को तब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली जब उन्हें 1989 में अयोध्या विवाद में हिंदू महासभा का वकील नियुक्त किया गया।
घनी दाढ़ी और माथे पर काले तिलक के साथ 68 वर्षीय हरि शंकर जैन ने बताया कि जब मैंने अपने पिता को बताया कि उन्होंने राम जन्मभूमि केस लड़ने का फैसला किया है तो मेरे पिता ने दो दिन तक खाना नहीं खाया। मैंने अपनी मां के बताये रास्ते पर चलने का फैसला किया' मेरे पिता न्यायिक सेवा में थे, लेकिन वे इसके सख्त खिलाफ थे। वह चाहते थे कि मैं हाईकोर्ट में जज बनूं।
2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक अयोध्या राम जन्मभूमि मुद्दे पर टीवी बहस में एक जाना-पहचाना नाम थे। विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष और अयोध्या में मंदिर ट्रस्ट श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के अनुसार,
“हरि शंकर तब एक स्वतंत्र वकील थे। एक दिन वह अदालत में गया और न्यायाधीश से कहा कि देवता पिछले आठ दिनों से भूखे हैं , न्यायाधीश ने हमें पूजा करने की अनुमति दी और इसने मामले का रुख अपरिवर्तनीय रूप से बदल दिया। 1993 की जीत के बाद हरि शंकर टीम का हिस्सा बने।
कानूनी लड़ाई के लिए कोई पैसा नहीं लेते हैं। हरि शंकर ने कहा कि जिस दिन हम अपनी सेवाओं के लिए पैसे लेने या किसी पद पर नजर रखने का निर्णय ले लेंगे, हिंदू कल्याण का उद्देश्य विफल हो जाएगा।