यमुना नदी के उफान से बटेश्वर की शिव मंदिर श्रृंखला पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। बाढ़ के पानी की ठोकर से निचले इलाके के मंदिरों पर खतरा मंडराने लगा है।
बटेश्वर के लोगों ने बताया कि 1978 में मंदिर का शिखर डूब गया था। खतरे को देखते हुए प्रशासन ने मंगलवार को मंदिर बाजार की दुकानें खाली करा लीं। बटेश्वर के अलावा कचौराघाट के प्राचीन शिव मंदिर में भी यमुना की बाढ़ का पानी घुस गया है। विक्रमपुर घाट स्थित मंदिर में भी पानी भर गया है।
आगरा में भी कैलाश मंदिर समेत कई मंदिरों में पानी भर गया। हालात को देखते हुए कैलाश मेला स्थगित कर दिया गया है।
वहीं, यमुना किनारे बसे मथुरा-वृंदावन में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। यहां बांकेबिहारी मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर यमुना बह रही है। कई मंदिरों में यमुना का पानी पहुंचने पर साधु-संतों ने आरती की। कैलाश मंदिर में प्रतिदिन पूजा करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंगलवार की स्थिति अलग थी। सुबह जब वह मंदिर पहुंचे तो वहां करीब तीन फीट पानी भरा हुआ था। श्रद्धालु पानी के बीच से ही मंदिर तक पहुंचे।
प्रसिद्ध शक्ति पीठ कात्यायनी मंदिर, उत्तर भारत के सबसे बड़े रंगनाथ मंदिर, लाला बाबू मंदिर और ज्ञान गुदड़ी तक भी यमुना का पानी पहुंच गया है। वहीं, रमण रेती स्थित रमण बिहारी मंदिर में भी यमुना का पानी घुस गया।
कहा जाता है कि लाला बाबू मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति है, जो अपनी पुकार पर भक्त को सांस लेकर अपने अस्तित्व का एहसास कराते थे। यहां के बारे में मान्यता है कि जब यमुना जी पहुंचती हैं तो यहां के पुजारी आरती करते हैं, जिसके बाद यमुना का पानी कम होने लगता है।* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।
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