काल भैरव मंदिर की पहचान भगवान महाकाल के नगर कोतवाल के रूप में की जाती है। भगवान महाकाल की तरह नगर के कोतवाल काल भैरव भी प्रजा का हालचाल जानने के लिए भ्रमण करते हैं। नगर कोतवाल के रूप में विराजमान काल भैरव की महिमा अपरंपार है। ऐसा माना जाता है कि भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने से पहले शहर कोतवाल का आशीर्वाद लेना जरूरी होता है। भगवान महाकाल के दर्शन करने के बाद भक्त कालभैरव के दरबार में पहुंचते हैं।
पुजारी पंडित सदाशिव चतुर्वेदी बताते हैं कि काल भैरव मंदिर में तामसी पूजा सहित तीन प्रकार की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि भगवान काल भैरव की सवारी साल में दो बार नगर भ्रमण पर निकलती है. हर साल डोलग्यारस और
भैरव अष्टमी के त्योहार पर ग्वालियर के सिंधिया परिवार की पगड़ी मंदिर में लाई जाती है। डोल ग्यारस और भैरव अष्टमी पर भगवान काल भैरव लोगों का हालचाल जानने के लिए नगर भ्रमण करते हैं। भगवान काल भैरव के दर्शन के लिए देश भर से भक्त आते हैं।
भगवान काल भैरव को मदिरा भी पिलाई जाती है।
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