श्री युगलाष्टकम् - कृष्ण प्रेममयी राधा (Yugal Ashtakam - Krishna Premayi Radha)


कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेम मयो हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम् ॥1॥
कृष्णस्य द्रविणं राधा राधायाः द्रविणं हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम् ॥2॥

कृष्णप्राणमयी राधा राधाप्राणमयो हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम् ॥3॥

कृष्णद्रवामयी राधा राधाद्रवामयो हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम् ॥4॥

कृष्ण गेहे स्थिता राधा राधा गेहे स्थितो हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम् ॥5॥

कृष्णचित्तस्थिता राधा राधाचित्स्थितो हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम् ॥6॥

नीलाम्बरा धरा राधा पीताम्बरो धरो हरिः ।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम् ॥7॥

वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः ।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम् ॥8॥
Yugal Ashtakam - Krishna Premayi Radha - Read in English
Krishnapremamayi Radha Radhaprem Mayo Hari: । Jivanen Dhane Nitya Radhakrishnagatirmam ॥
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Yugalastakam by Jiva Goswami

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