शिव स्तुति, विद्येश्वरसंहिता श्रीशिवमहापुराण (Shiv Stuti, Vidyeshvara Samhita Shivmahapuran)


॥ ॐ श्रीसाम्बशिवाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥

आद्यन्तमङ्गलमजातसमानभाव-

मार्यं तमीशमजरामरमात्मदेवम् ।
पञ्चाननं प्रबलपञ्चविनोदशीलं
सम्भावये मनसि शङ्करमम्बिकेशम् ॥

- [ श्रीशिवमहापुराण / प्रथम-खण्ड - पूर्वार्ध /विद्येश्वरसंहिता / प्रथमोऽध्यायः / मुनिप्रश्नोत्तरवर्णनम् ]
हिन्दी अनुवाद:
जो आदि और अन्तमें [तथा मध्यमें भी] नित्य मङ्गलमय हैं, जिनकी समानता अथवा तुलना कहीं भी नहीं है, जो आत्मा के स्वरूप को प्रकाशित करने वाले परमात्मा हैं, जिनके पाँच मुख हैं और जो खेल-ही-खेल में अनायास जगत्‌ की रचना, पालन, संहार, अनुग्रह एवं तिरोभाव रूप पाँच प्रबल कर्म करते रहते हैं, उन सर्वश्रेष्ठ अजर-अमर ईश्वर अम्बिकापति भगवान् शंकरका मैं मन-ही-मन चिन्तन करता हूँ।
Mantra Shiv MantraBholenath MantraMahadev MantraShivaratri MantraSavan Ke Somvar MantraMonday MantraSomwar MantraSomvati Amavasya Mantra
अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः - लोकक्षेम मंत्र

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।...

ॐ सर्वेशां स्वस्तिर्भवतु मंत्र

ॐ सर्वेशां स्वस्तिर्भवतु । सर्वेशां शान्तिर्भवतु । सर्वेशां पुर्णंभवतु ।...

श्री राम रक्षा स्तोत्रम्

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥ ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ..

श्री गणेशपञ्चरत्नम् - मुदाकरात्तमोदकं

मुदाकरात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं, कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम् । अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं...

वक्रतुण्ड महाकाय - गणेश मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥