पूर्णब्रह्म स्तोत्रम् (Purnabramha Stotram)


पूर्णचन्द्रमुखं निलेन्दु रूपम्
उद्भाषितं देवं दिव्यं स्वरूपम्
पूर्णं त्वं स्वर्णं त्वं वर्णं त्वं देवम्
पिता माता बंधु त्वमेव सर्वम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ १ ॥
कुंचितकेशं च संचितवेशम्
वर्तुलस्थूलनयनं ममेशम्
पिनाकनीनाका नयनकोशम्
आकृष्ट ओष्ठं च उत्कृष्ट श्वासम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ २ ॥

नीलाचले चंचलया सहितम्
आदिदेव निश्चलानंदे स्थितम्
आनन्दकन्दं विश्वविन्दुचंद्रम्
नंदनन्दनं त्वम् इन्द्रस्य इन्द्रम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ ३ ॥

सृष्टि स्थिति प्रलय सर्वमूळम्
सूक्ष्मातिसुक्ष्मं त्वं स्थूलातिस्थूलम्
कांतिमयानन्तम् अन्तिमप्रान्तम्
प्रशांतकुन्तळं ते मूर्त्तिमंतम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ ४ ॥

यज्ञ तप वेद ज्ञानात् अतीतम्
भावप्रेमछंदे सदावशित्वम्
शुद्धात् शुध्दं त्वं च पूर्णात् पूर्णम्
कृष्णमेघतुल्यम् अमूल्यवर्णम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ ५ ॥

विश्वप्रकाशं सर्वक्लेशनाशम्
मन बुद्धि प्राण श्वासप्रश्वासम्
मत्स्य कूर्म नृसिंह वामनः त्वम्
वराह राम अनंत अस्तित्वम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ ६ ॥

ध्रुवस्य विष्णु त्वं भक्तस्य प्राणम्
राधापति देव हे आर्त्तत्राणम्
सर्व ज्ञान सारं लोक आधारम्
भावसंचारम् अभावसंहारम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ ७ ॥

बलदेव सुभद्रा पार्श्वे स्थितम्
सुदर्शन संगे नित्य शोभितम्
नमामि नमामि सर्वांगे देवम्
हे पूर्णब्रह्म हरि मम सर्वम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ ८ ॥

कृष्णदासहृदि भाव संचारम्
सदा कुरु स्वामी तव किंकरम्
तव कृपा विन्दु हि एक सारम्
अन्यथा हे नाथ सर्व असारम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम्
जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ ९ ॥

॥ इति श्री कृष्णदासः विरचित पूर्णब्रह्न स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
Purnabramha Stotram - Read in English
Purnachandramukham Nilendu Rupam , Udbhashitan Devan Divyan Svarupam, Purnan Tvan Svarnan Tvan Varnan Tvan Devam , Pita Mata Bandhu Tvamev Sarvam, Swami Jagannath Bhaktabhavapremi Namamyaham , Swami Jagannath Bhaktapremi Namamyaham ॥ 1 ॥
Mantra Purnabramha Stotram MantraShri Jagganath MantraPuri Jagganath MantraJagannath Dham MantraJagannath MantraPuri MantraJagannath Ashtakam MantraIskcon Mantra
अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥ नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

शिव स्तुति: ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं

ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं, वन्दे जगत्कारणम् । वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं..

आदित्य-हृदय स्तोत्र

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् । रावणं चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम् ॥ दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् ।

संकट मोचन हनुमानाष्टक

बाल समय रवि भक्षी लियो तब।.. लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।...

श्री हनुमान स्तवन - श्रीहनुमन्नमस्कारः

प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ज्ञानघन ।.. गोष्पदी कृत वारीशं मशकी कृत राक्षसम् ।..