श्री मातृ पञ्चकम् (Shri Mathru Panchakam)


आदि गुरु शंकराचार्य अपनी माँ की मृत्यु के समय अपनी माँ के पास पहुँचे तथा उन्होंने अपनी माँ का अंतिम संस्कार भी किया। जबकि शंकराचार्य होते हुए उनका अग्नि को हाथ लगाना वर्जित था। तब गुरु शंकराचार्य ने माँ पर समर्पित यह पांच श्लोक लिखे। यह संभवतः, उनकी लिखी एकमात्र रचना थी, जो किसी ईश्वर के लिए अथवा किसी भी दर्शन के लिए नहीं थी।
आस्तां तावदियं प्रसूतिसमये दुर्वारशूलव्यथा
नैरुच्यं तनुशोषणं मलमयी शय्या च संवत्सरी ।

एकस्यापि न गर्भभारभरणक्लेशस्य यस्याक्षमः
दातुं निष्कृतिमुन्नतोऽपि तनयस्तस्यै जनन्यै नमः ॥

मातः सोऽहमुपस्तितोऽस्मि पुरतः पूर्वप्रतिज्ञां स्मरन्,
प्रत्यश्रावि पुराहि तेऽन्त्य समये प्राप्तुं समीपं तव ।

ग्राहग्रासमिषाद्यया ह्यनुमतस्तुर्याश्रमं प्राप्तुवान्,
यत्प्रीत्यै च समागतोऽहमधुना तस्यै जनन्यै नमः ॥ १॥

ब्रूते मातृसमा श्रुतिर्भगवती यद्बार्हदारण्यकै,
तत्त्वं वेत्स्यति मातृमांश्च पितृमानाचार्यवानित्यसौ ।

तत्रादौ किल मातृशिक्षणविधिं सर्वोत्तमं शासती,
पूज्यात्पूज्यतरां समर्थयति यां तस्यै जनन्यै नमः ॥ २॥

अम्बा तात इति स्वशिक्षणवशादुच्चारणप्रक्रियां,
या सूते प्रथमं क्व शक्तिरिह नो मातुस्तु शिक्षां विना ।

व्युत्पत्तिं क्रमशश्च सार्वजनिकीं तत्तत्पदार्थेषु या,
ह्याधत्ते व्यवहारमप्यवकिलं तस्यै जनन्यै नमः ॥ ३॥

इष्टानिष्टहिताहितादिधिषणाहौना वयं शैशवे,
कीटान् शष्कुलवित् करेण दधतो भक्ष्याशया बालिशाः ।

मात्रा वारितसाहसाः खलुततो भक्ष्याण्यभक्ष्याणि वा,
व्यज्ञासिष्म हिताहिते च सुतरां तस्यै जनन्यै नमः ॥ ४॥

आत्मज्ञानसमार्जनोपकरणं यद्देहयन्त्रं विदुः
तद्रोगादिभयान्मृगोरगरिपुव्रातादवन्ती स्वयम् ।

पुष्णन्ती शिषुमादराद्गुरुकुलं प्रापय्य कालक्रमात्
या सर्वज्ञशिखामणिं वितनुते तस्यै जनन्यै नमः ॥ ५॥
- श्री शङ्कराचार्य कृतं
Shri Mathru Panchakam - Read in English
Shri Maatah Sohamupastitosmi Puratah Poorvapratigyan Smaran, Pratyashravi Purahi Tenty Samaye Praptun Samipan Tav ।
Mantra Matra MantraMother MantraMaa MantraMata MantraAdi Shankaracharya MantraBy Sooryagayathri MantraMothers Day Mantra

अन्य प्रसिद्ध श्री मातृ पञ्चकम् वीडियो

अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

आदित्य-हृदय स्तोत्र

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् । रावणं चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम् ॥ दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् ।

संकट मोचन हनुमानाष्टक

बाल समय रवि भक्षी लियो तब।.. लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।...

श्री हनुमान स्तवन - श्रीहनुमन्नमस्कारः

प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ज्ञानघन ।.. गोष्पदी कृत वारीशं मशकी कृत राक्षसम् ।..

हनुमान द्वादश नाम स्तोत्रम - मंत्र

हनुमान जी के 12 नाम | हनुमान द्वादश नाम | हनुमानद्वादशनाम स्तोत्र | Hanumaan 12 naam |

श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम्

निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी । बनेरणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ त्रिशूल मुण्ड धारिणी..