श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्रम् (Shri Laxmi Narayan Stotram)


श्रीनिवास जगन्नाथ श्रीहरे भक्तवत्सल ।
लक्ष्मीपते नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात् ॥१॥
राधारमण गोविंद भक्तकामप्रपूरक ।
नारायण नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात् ॥२॥

दामोदर महोदार सर्वापत्तीनिवारण ।
ऋषिकेश नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात् ॥३॥

गरुडध्वज वैकुंठनिवासिन्केशवाच्युत ।
जनार्दन नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात् ॥४॥

शंखचक्रगदापद्मधर श्रीवत्सलांच्छन ।
मेघश्याम नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात् ॥५॥

त्वं माता त्वं पिता बंधु: सद्गुरूस्त्वं दयानिधी: ।
त्वत्तोs न्यो न परो देवस्त्राही मां भवसागरात् ॥६॥

न जाने दानधर्मादि योगं यागं तपो जपम ।
त्वं केवलं कुरु दयां त्राहि मां भवसागरात् ॥७॥

न मत्समो यद्यपि पापकर्ता न त्वत्समोsथापि हि पापहर्ता ।
विज्ञापितं त्वेतद्शेषसाक्षीन मामुध्दरार्तं पतितं तवाग्रे ॥८॥

मङ्गलम् भगवान विष्णुः | श्री विष्णुसहस्रनाम पाठ मंत्र
Mantra Shri Vishnu MantraNarayan MantraMangalam MantraShri Hari MantraShri Ram MantraShri Krishna Mantra
अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् विष्णुपुराणान्तर्गतम्

सिंहासनगतः शक्रस्सम्प्राप्य त्रिदिवं पुनः। देवराज्ये स्थितो देवीं तुष्टावाब्जकरां ततः॥

श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम

सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये, मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनि, मंजुल भाषिणी वेदनुते ।

श्री लक्ष्मी के 108 नाम - श्रीलक्ष्मीष्टोत्तरशतनामावलिः

ॐ प्रकृत्यै नमः ॥ ॐ विकृत्यै नमः ॥ ॐ विद्यायै नमः ॥ ॐ सर्वभूतहितप्रदायै नमः ॥ ॐ श्रद्धायै नमः ॥ ॐ विभूत्यै नमः ॥

इन्द्र देव गायत्री मन्त्र

ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि। तन्नो इन्द्रः प्रचोदयात्॥

वक्रतुण्ड महाकाय - गणेश मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥