क्रोधात् भवति संमोहः (Krodhad Bhavati Sammohah)


क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।
हिन्दी अनुवाद:
क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि भ्रष्ट होती है। जब बुद्धि भ्रष्ट होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट हो जाता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है। इस क्रोध को जितना जल्दी हो सके छोड़ दो।

श्री शंकराचार्य द्वारा संस्कृत में व्याख्या:
क्रोधात् भवति संमोहः अविवेकः कार्याकार्यविषयः। क्रुद्धो हि संमूढः सन् गुरुमप्याक्रोशति। संमोहात् स्मृतिविभ्रमः शास्त्राचार्योपदेशाहितसंस्कारजनितायाः स्मृतेः स्यात् विभ्रमो भ्रंशः स्मृत्युत्पत्तिनिमित्तप्राप्तौ अनुत्पत्तिः। ततः स्मृतिभ्रंशात् बुद्धिनाशः बुद्धेर्नाशः। कार्याकार्यविषयविवेकायोग्यता अन्तःकरणस्य बुद्धेर्नाश उच्यते। बुद्धिनाशात् प्रणश्यति। तावदेव हि पुरुषः यावदन्तःकरणं तदीयं कार्याकार्यविषयविवेकयोग्यम्। तदयोग्यत्वे नष्ट एव पुरुषो भवति। अतः तस्यान्तःकरणस्य बुद्धेर्नाशात् प्रणश्यति पुरुषार्थायोग्यो भवतीत्यर्थः।
सर्वानर्थस्य मूलमुक्तं विषयाभिध्यानम्। अथ इदानीं मोक्षकारणमिदमुच्यते।
Krodhad Bhavati Sammohah - Read in English
Krodhad Bhavati Sammohah Sammohat Smriti-vibhramah। Smriti-bhranshad...
Mantra Bhagwat Geeta Mantra
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