शिव चन्द्रशेखर अष्टकम स्त्रोत्रं (Chandrasekhara Ashtakam Stotram)


चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहि माम् ।
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष माम् ॥
रत्नसानुशरासनं रजताद्रिश‍ृङ्गनिकेतनं
सिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वर मच्युतानलसायकम् ।
क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदिवालयैरभिवन्दितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ १॥

पञ्चपादपपुष्पगन्धिपदाम्बुजद्वयशोभितं
भाललोचनजातपावकदग्धमन्मथविग्रहम् ।
भस्मदिग्धकलेवरं भवनाशनं भवमव्ययं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ २॥

मत्तवारणमुख्यचर्मकृतोत्तरीयमनोहरं
पङ्कजासनपद्मलोचनपूजिताङ्घ्रिसरोरुहम् ।
देवसिन्धुतरङ्गशीकर सिक्तशीतजटाधरं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ३॥

कुण्डलीकृत कुण्डलेश्वर कुण्डलं वृषवाहनं
नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् ।
अन्धकान्तकमाश्रितामरपादपं शमनान्तकं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ४॥

यक्षराजसखं भगाक्षहरं भुजङ्गविभूषणं
शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकलेवरम् ।
क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ५॥

भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं
दक्षयज्ञविनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् ।
भुक्तिमुक्तिफलप्रदं सकलाघसङ्घनिबर्हणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ६॥

भक्तवत्सलमर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं
सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनुत्तमम् ।
सोमवारिद भूहुताशन सोमपानि लखाकृतिं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ७॥

विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं
संहरन्तमपि प्रपञ्चमशेषलोकनिवासिनम् ।
क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमन्वितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ८॥

फलश्रुतिः -
मृत्युभीतमृकण्डसूनुकृतस्तवं शिवसन्निधौ
यत्र कुत्र च यः पठेन्न हि तस्य मृत्युभयं भवेत् ।
दीर्घमायुररोगितामखिलार्थसम्पदमादरात् (पूर्णमायु, सम्पदमादरं)
चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्तिमयत्नतः ॥

॥ इति श्रीशिवरहस्यान्तर्गते शिवाख्ये मार्कण्डेयकृतं श्रीचन्द्रशेखराष्टकं सम्पूर्णम् ॥
Mantra Shiv MantraBholenath MantraMahadev MantraShivaratri MantraSavan Ke Somvar MantraMonday MantraSomwar MantraSomvati Amavasya MantraMarkandey Rishi MantraSounds Of Isha Mantra

अन्य प्रसिद्ध शिव चन्द्रशेखर अष्टकम स्त्रोत्रं वीडियो

Madhvi Madhukar Jha

अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते, गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।

संकट मोचन हनुमानाष्टक

बाल समय रवि भक्षी लियो तब।.. लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।...

श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम्

निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी । बनेरणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ त्रिशूल मुण्ड धारिणी..

श्री राम रक्षा स्तोत्रम्

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥ ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ..

राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत्र

मुनीन्द्र वृन्द वन्दिते त्रिलोक शोक हारिणि, प्रसन्न वक्त्र पण्कजे निकुञ्ज भू विलासिनि, व्रजेन्द्र भानु नन्दिनि व्रजेन्द्र सूनु संगते..