भगवान मुरुगन के अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् (Ashtottarshatanam Stotram of Bhagwan Murugan)


स्कंदोगुह षण्मुखश्च भालनेत्रसुतः प्रभुः।
पिंगलः कृत्तिकासूनुः शिखिवाहो द्विषड्भुजः॥1॥
द्विषण्णेत्रश्शक्तिधरः पिशिताशा प्रभंजनः।
तारकासुरसंहारि रक्षोबलविमर्दनः॥2॥

मत्तः प्रमत्तोन्मत्तश्च सुरसैन्य सुरक्षकः।
देवसेनापतिः प्राज्ञः कृपालो भक्तवत्सलः॥3॥

उमासुतश्शक्तिधरः कुमारः क्रौंचधारिणः।
सेनानीरग्निजन्मा च विशाखश्शंकरात्मजः॥4॥

शिवस्वामि गणस्वामि सर्वस्वामि सनातनः।
अनंतमूर्तिरक्षोभ्यः पार्वती प्रियनंदनः॥5॥

गंगासुतश्शरोद्भूत आहूतः पावकात्मजः।
जॄंभः प्रजॄंभः उज्जॄंभः कमलासन संस्तुतः॥6॥

एकवर्णो द्विवर्णश्च त्रिवर्णस्सुमनोहरः।
चतुर्वर्णः पंचवर्णः प्रजापतिरहह्पतिः॥7॥

अग्निगर्भश्शमीगर्भो विश्वरेतास्सुरारिहा।
हरिद्वर्णश्शुभकरो वटुश्च पटुवेषभृत्॥8॥

पूषागभस्तिर्गहनो चंद्रवर्ण कलाधरः।
मायाधरो महामायी कैवल्य श्शंकरात्मजः॥9॥

विश्वयोनिरमेयात्मा तेजोयोनिरनामयः।
परमेष्ठी परब्रह्म वेदगर्भो विराट्सुतः॥10॥

पुलिंद कन्याभर्ताच महासारस्वतवृतः।
अश्रिताखिलदाताच चोरघ्नो रोगनाशनः॥11॥

अनंतमूर्तिरानंदश्शिखंडीकृतकेतनः।
डंभः परमडंभश्च महाडंभोवृषाकपिः॥12॥

कारणोत्पत्तिदेहश्च कारणातीत विग्रहः।
अनीश्वरोऽमृतःप्राणः प्राणायाम परायणः॥13॥

विरुद्धहंत वीरघ्नो रक्तश्यामगलोऽपिच।
सुब्रह्मण्यो गुहप्रीतः ब्रह्मण्यो ब्राह्मणप्रिय॥14॥

॥ इति श्री सुब्रह्मण्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Ashtottarshatanam Stotram of Bhagwan Murugan - Read in English
Skandoguha Shanmukhashcha Bhalanetrasutah Prabhuh। Pingalah Krittikasunuh Shikhivaho Dvishadbhujah
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स्कंदोगुह षण्मुखश्च भालनेत्रसुतः प्रभुः। पिंगलः कृत्तिकासूनुः शिखिवाहो द्विषड्भुजः