श्री उत्तरा गुरुवायुरप्पन मंदिर जो की
भगवान विष्णु के एक रूप है, मयूर विहार फेज 1 मेट्रो स्टेशन के पास स्थित है। भगवान श्री उत्तरा गुरुवायुरप्पन मुख्य रूप से केरल में पूजा की जाती है।
मंदिर की स्थापना 17 मई 1983 को हुई थी।
कौन है श्री उत्तरा गुरुवायुरप्पन?
गुरुवायुरप्पन को उनके बाल रूप में श्री कृष्ण के रूप में पूजा जाता है, जिन्हें गुरुवयूर उन्नीकन्नन (गुरुवायूर बेबी कृष्णा) के नाम से जाना जाता है।
गुरुवयुरप्पन शब्द, जिसका अर्थ है गुरुवयूर का भगवान, गुरु शब्द से आता है, जो देवों के गुरु बृहस्पति, वायु मतलब हवा और अप्पन मतलब देवता, जिसका अर्थ है 'पिता' या 'भगवान' मलयालम में। चूँकि गुरु और वायु ने कृष्ण की मूर्ति स्थापित की थी, इसलिए देवता को गुरुवायुरप्पन नाम दिया गया था।
श्री उत्तरा गुरुवायुरप्पन मंदिर की पौराणिक कथा और वास्तुकला
ऐसा माना जाता है कि गुरुवायुरप्पन की मूर्ति की पूजा कृष्ण के माता-पिता वासुदेव और देवकी द्वारा की गई थी, और यह विष्णु की पूर्ण अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करती है, और बाद में स्वयं विष्णु के अवतार कृष्ण द्वारा पूजा की गई।
मूर्ति \"पाताल अंजनम\" या काले बिस्मथ नामक पत्थर से बनी है और चार भुजाओं के साथ खड़ी मुद्रा में है, जिसमें पांचजन्य (शंख), सुदर्शन चक्र, कौमोदकी (गदा) है। और पद्मा (कमल)। श्री उत्तरा गुरुवायुरप्पन मंदिर की वास्तुकला बिल्कुल केरल शैली की है। मुख्य कृष्ण मंदिर के अलावा, परिसर में गणपति, शिव और
अय्यप्पा को समर्पित छोटे मंदिर और नाग देवता को समर्पित सर्प कावु की प्रतिकृति है।
यह मंदिर निजी ट्रस्ट का है जिसका रखरखाव अच्छी तरह से किया जाता है। त्योहारी दिनों में यहां यहां भक्तो की बहुत भिड़ होती है।
यह मंदिर दिल्ली में मलयाली और तमिल समुदायों द्वारा सबसे अधिक पूजनीय है।
प्रचलित नाम: Sri Uttara Guruvayurappan Temple, Bhagwan Vishnu, Sri Uttara Guruvayurappan Temple Mayur Vihar, Shri Krishna Mandir, Kerala temple
दर्शन समय
सर्दी (1 अक्टूबर - 31 मार्च): 6:00 - 11:00 पूर्वाह्न, 5:30 - 8:30 अपराह्न; गर्मी (1 अप्रैल - 30 सितंबर): 5:30 - 11:00 पूर्वाह्न, 6:00 - 9:00 अपराह्न
बुनियादी सेवाएं
पेयजल, प्रसाद, पूजा सामग्री, सीसीटीवी सुरक्षा, दो जूता स्टोर